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4. ये जीव मुख्यतः a) तापक्रम, b) दबाव, c) परकाय कोलोइड बनाने वाले
ठोस पदार्थों से और d) ऑक्सीजन मूलकों से प्रभावित होते हैं। iv) पानी को अचित्त बनाने की विधि में क्या किया जाता है ? a) मूलकों को व ऑक्सीजन को हटाना b) पानी के शरीर/ योनि की संरचना
को तोड़ना c) शरीर के छिद्रों को बंद करना। v) अचित्त पानी के प्रमुख प्रभाव क्या हैं:1. अचित्त पानी (मूलकों की अनुपस्थिति) से भावनाओं का निग्रह होता है।
यानि इंद्रियों को वश में करने में आसानी होती है। 2. अन्य प्रभावों का, जैसे चयापचय आदि का भी परीक्षण और शोध करना
आसान हो सकेगा (अचित्त और सचित्त दोनों पानी का)। 3. पानी के जीवित रूप में होने की इस वैज्ञानिक खोज से, यह जरूरी बनता
है कि हम इन जीवों की रक्षा के लिए अधिक सजग बनें । अहिंसक समाज अपने उपयोग में पानी की मात्रा का, निश्चित संकल्प के साथ अल्पीकरण करे। तथा किसी भी प्रकार के दुरूपयोग को समाप्त करने
का प्रयास करें। 4. जैन दर्शन के अनुसार इससे हमारा पर्यावरण तो बचेगा ही, साथ-साथ में
हमारे कर्मों की बड़ी निर्जरा भी होगी। यह अपनी आत्मा को, आत्मा द्वारा,
दिया जाने वाला एक बड़ा तोहफा होगा। vi) आगे की शोध के लिए कुछ विषयः- - 1. ऑक्सीजन मूलकों की ऊर्जा, गति और सक्रियता का मापदंड। 2. सचित्त पानी का मानव कोशिकाओं पर प्रयोग और मूलकों का प्रभाव,
अचित्त पानी की उपयोगिता। 3. सचित्त पानी की कोशिकाओं की क्षमता पर शोध तथा उनके आभामण्डल
पर शोध। 4. जल आधारित होम्यो दवाओं का अध्ययन और जल जीवन के आधार पर
उनके सिद्धांतों को व्यवस्थित रूप देना। 5. कोस्मिक ऊर्जा का योगदान तथा होम्यो के संदर्भ में पानी की
कार्य-पद्धति पर शोध।
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