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________________ स) यह प्रश्न भी कई बार उठाया जाता है कि #- जल कोई एकेन्द्रिय जीव होता है या नहीं, यह जानकर क्या करेंगे ? #- इस ज्ञान से मानव समाज को क्या फायदा होगा? i) इसका उत्तर ढूंढने के पूर्व देखते हैं कि वनस्पति जीव है या नहीं, यह 100 वर्ष पूर्व जान कर क्या फायदा हुआ? 1. इससे एक पूरा जैव-विज्ञान, “कोषाणु-आधारित” वनस्पति शास्त्र विकसित हुआ। 2. खेती की पैदावार में फायदा हुआ। 3. आनुवांशिक परिवर्तित (पारजीनी) पैदावार विकसित हुई। ii) उसी प्रकार यदि जल कोषाणु की वैज्ञानिक संरचना मालूम हो जाये, यानि 1. उसकी संरचना कब और कैसे टूटती है और कैसे बनती है? 2. जीवित पानी या अचित्त पानी के उपयोग में लेने से हमारी शारीरिक - रचना और चयापचय में क्या फर्क पड़ता है ? 3. इससे हमारे शरीर अथवा मन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं? यह सब मालूम हो जाने पर उसको मानव समाज के हित में आवश्यकतानुसार सुधारा (manipulate) जा सकता है। हम विज्ञान जगत को एक नये प्रकार के जीवन के सिद्धांत को दे सकेंगें। उसमें बहुत सी अन्य जानकारियाँ उजागर होगी। 5. मानव को अपने महत्त्वपूर्ण संसाधन के प्रति नजरिया बदलने में मदद मिलेगी। 6. वैज्ञानिक अवधारणाओं में बहुत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होगा। तथा पर्यावरण संरक्षण में विशिष्ट औजार उपलब्ध होंगें। iii) अभी तक की जानकारी या परिकल्पना के अनुसार - 1. जल जीव की संरचना एक जालीनुमा सूक्ष्म बेलनाकार नेनो ट्यूब के सदृश है। 2. इसका हाइड्रोजन जोड़/बंध, स्थिर-वैद्युत शक्ति से बनता है तथा वह तापक्रम और दबाव से प्रभावित होता है। 3. अपनी जालीनुमा संरचना के छिद्रों के अवरूद्ध होने से पानी अचित्त बन जाता है। स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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