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________________ श्रीशत्रुजयगिरिवरगता लेखाः ले० १४ देरीनं० नास्ति ॥ संवत् १६७५ वैशाख शुदि १३ शुक्रे । ओसवालज्ञातीयलोढागोत्रीय सा० रायमल्ल भार्या रंगादे पुत्र सा० जयवंत भार्या जयवंतदे पुत्र विविधपुण्य-कर्मकारक श्रीशझुंजययात्रा विधान-संप्राप्त-संघपति-तिलक सं० राजसीकेन भार्या कसुंभदे चतुरंगदे पु० अखयराज भार्या अहकारदे पु० अजयराज स्वभ्रातृ सं० अमीपाल भर्या गूर्जरदे पु० वीरधवल भा० जागतादे स्वलघुभ्नातृ सं० वीरपाल भार्या लीलादे प्रमुखस्वपरिवारसहितेन श्रीआदिनाथपादुके कारिते प्रतिष्ठिते युगप्रधान-श्रीजिनसिंहसू रि-पटोद्योतक श्रीजिनराजसू रिभिः श्रीशत्रुजयोद्धारप्रतिष्ठायां श्रीबृहत्खरतरगच्छाधिराजः॥ ले १५ देरीनं० नास्ति ॥ सं. १६७५ मिते सुरताणनूरदी(न)जहांगीर-सवाई विजयराज्ये साहिजादीसुरताण. खोसरुपवरे श्रीराजीनगरे सोबई साहियान सुरताणखुरमे वैशाखसित १३ शुक्रे श्रीअहम्मदावाद-वास्तव्य-लघुशाखा प्रकटप्राग्वाटज्ञातीय से० देवराज भार्या रुडी पुत्र से० गोपाल भार्या राजू पुत्र से० राजा पुत्र सं० साईआ भार्या वाईड पुत्र सं० जोगी भार्या जसमादे पुत्ररत्न श्रीशत्रुजयतीर्थयात्रा-विधान-संप्राप्तश्रीसंघपतितिलक-नवीनजिनभवनबिंव प्रतिष्ठा-साधर्मिकवात्सल्यदिधर्मक्षेत्रोप्त-स्ववित्त सं० सोमजी भार्या राजलदे कुक्षिरत्न-राजसभाश्रृंगार सं० रुपजीकेन पितृव्य सं० शिवा स्ववृद्धभ्रातृ रत्नजी पुत्र सुंदरदास शेखर लघुर्भ्रातृ खीमजी पुत्र रविजी स्वभार्या जेठी पु० उदयवंत पितामह भ्रातृ सं० नाथापुत्र सं० सूरजी प्रमुखसारपरिवारसहितेन स्वयं समुद्धारित–सप्राकार-श्रीविमलाचलोपरिमूलोद्धारसार-चतुर्मुखविहार श्रृंगारहार-श्रीआदिनाथविंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीमहावीरदेवपट्टानुपट्टा-विच्छिन्नपरंपरायातश्रीउद्द्योतनसुरि-श्रीवर्धमानसू रि-वसतिमार्गप्रकाशकश्रीजिनेश्वरसू रि-श्रीजिचंद्रसू रि-नवांगवत्तिकारकश्रीस्तंभनकश्रीपार्श्वनाथप्रकटक-श्रीअभयदेवसू रिश्रीजिनवल्लभसू रि-देवताप्रदत्तयुगप्रधानपदश्रीजिनदत्तसूरि-श्रीजिनचंद्रसू रि-श्रीजिनपतिसू रि -श्रीजिनेश्वरसू रि-श्रीजिनप्रबोधसू रि-श्रीजिनचंद्रसू रि--श्रीजिनकुशलसू रि-श्रीजिनपद्मसू रि-श्रीजिनलब्धिसू रि-श्रीजिनचंद्रसू रि–श्रीजिनोदयसू रि-श्रीजिनराजसू रि-श्रीजिनभद्रसूरि-श्रीजिनचंद्रसू रि-श्रीजिनसमुद्रसू रि-श्रीजिनहंससू रि-श्रीजिनमाणिकयसू रि-दिल्लीपतिपातसहिश्रीअकब्बरप्रतिबोधक-तत्प्रत्तयुगप्रधानविरुदधारक-देशाष्टान्हिकामारिप्रवर्तावक-कुपितजहांगीरसाहिरंजक-तत्स्वमण्डलबहिष्कृतसाधुरक्षक-युगप्रधान–श्रीजिनचंद्रसू रि-मत्रिकर्मचंद्रकारितसपादकोटिवित्तव्ययरुपनंदिमहोत्सव-प्रकारकठिनकाश्मीरादिदेशविहारकारक-श्रीअकब्बरसाहिमनःकमलभमरानकारकवर्षावधिजलधिजलजंतुजातघातनिवर्तक- श्रीपुरगोलकुंडागज़्ज्णाप्रमुखदेशामारिप्रवर्तक- सकल (११) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006753
Book TitleShatrunjay Giriraj Darshan in Sculptures and Architecture
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchansagarsuri
PublisherAagamoddharak Granthmala
Publication Year1982
Total Pages334
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size21 MB
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