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________________ ARDHA-MAGADHI READER. वंदइ नमसइ २ त्ता एवं वयासी, "इच्छामि ण भंते । मह तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मियापुत्तं दारयं पासित्तए" ॥ __ "अहासुहं देवाणुपिया !" ॥१०॥ तए ण से भगव गोयमे जेणेव मियाए देवीए गिहे तेणेव उवागच्छइ २त्ता मियं देवि एवं वयासो, "अहं णं देवाणुप्पिए ! तव पुत्तं पासिउं हव्वमागए" ॥११॥ तए णं सा मिया देवी मियापुत्तस्स दारयस्स अणुमग्गजायर चत्तारि पुत्ते सव्वालंकारविमसिए करेइ त्ता भगवो गायमस्स पादेसु पाडेइ २ त्ता एवं वयासी, "एए ण भंते ! मम पुत्ते पासह" ॥१२॥ ___ तर ण से भगवं गोयमे मियं देवि एवं वयासी, "नो खलु देवाणुप्पिए ! अहं एए तव पुत्ते पासिउं इत्वमागए । तत्थ ण जे से तव जे? पुत्ते मियापुत्ते दारए जाइबंधे अंधरवे, जंण तुमं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्प्तिरण भत्तपाणेण पडिजागरमाणी विहरसि तं ण अहं पासि हव्वमागए" ॥१३॥ तए ण सा मिया देवी भगवं गोयम एवं वयासी, "से के ण भंते ! तहासवे णाणो व तवस्सीवा जेणं एसम? मम ताव रहस्सकए' तुम्भं हव्वमक्खाए ?" तए ण भगवं गोयमे. मियं देविं एवं वयासी, "एवं खलु देवाणुप्पिए ! मम धम्मायरिए समणे भगवं 1. B.Oस्सि . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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