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________________ मियापुत्ते दारए। महावीरे सवरण सव्वदरिसी, तो ण अहं एसमटुं जाणामि" ॥१४॥ जावं च णमिया देवी भगवया गोयमेण सद्धि एयमट्ठ संलवइ तावं च णं मियापुत्तस्स दारयस्स भत्तपाणवेला जाया यावि होत्था ॥१५॥ तए ण सा मिया देवी भगवं गोयम एवं वयामी, "तुन्भे ण भंते ! इह चेव चिट्ठह जा णं' अहं तुम्भं मियापुत्तं दारयं उवदंसेमि" त्ति कटु जेणेव भत्तपाणघरए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता वत्थपरियट्ट करेड २त्ता एग कट्टसगडियं गिण्हइ २त्ता विउलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स भरेइ २ त्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता एवं वयासी, "एह ण तुम्भे भंते ! ममं पिट्ठो अणुगच्छह, जा पहं तुभं मियापुत्तं दारयं उवदंसेमि" ॥१६॥ तए ण से भगवं गोयमे तं मियं देविं पिट्टा समणुगच्छह। तए णं सा मिया देवी तं कट्टसगडियं अणुकड्ढमाणी जेणेव भूमिघरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता चउप्पुडेणं वत्थेणं मुहं बंधमाणी भगवं गायम एवं बयासी, "तुब्भे वि णं भंते ! मुहपोत्तियार मुहं बंधइ" ॥ तए णं भगवं गोयमे मियाए देवीए एवं वुत्ते समाले मुहपोत्तियार मुहं बंधइ ॥१७॥ तर णं सा मिया देवी परं मुहा भूमिघरस्स दुवारं 1. B. जगणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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