SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मियापुत्ते दारए। तए ण से जाइअंधपुरिसे तं सचक्खुयं पुरिसं एवं वयासी, "गच्छामो ण देवाणुप्पिया ! पम्हे वि समर्थ भगवं महावीरं वंदामो नमंसामा जाव पज्जुवासामो" ॥६॥ तए ण से जाइबंधपुरिसे सचखुरण पुरिसेणं पुरमा दंडएणं पगढिज्जमाणे २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तिवखुत्तो आयाहिणं पयाहिण करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ जाव पज्जु- . वासह ॥७॥ ___ तए ण समणे भगवं महावोरे तोसे महइमहालियाए परिसाए धम्ममाइक्वइ, परिसा जामेव दिसं पाउब्भया तामेव दिसं पडिगया ॥८॥ तर णं समणस्स भगवो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे तं जाइबंधपुरिसं पासित्ता समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ त्ता एवं वयासो, “अस्थि ण भंते ! के पुरिसे जाइबंधे जाइअंघहवे ?" "हंता अत्थि" "कहिण भंते! से पुरिसे जाइअंधे जाइअंधावे ?" "एवं खलु गोयमा ! इहेव मियग्गामे नयरे विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियाए देवीए अत्तर मियापुत्ते नामं दारए जाइअंधे जाव' विहरड" ॥६॥ तए ण से भगवं गोयमे समण भगवं महावीर 1. In some Mss. fafel 2. Supply the rest from $$ 2 and 3. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy