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________________ 38 ARDHA-MAGADHI READER. एवं खलु जंब ! समणेण भगवया महावीरेणं अप्पोपालंभनिमित्तं पढमस्स नायझयणस्स अयमठे पण्णत्ते त्ति बेमि ॥ पढमं अज्झयण सम्मत्तं॥ महुरेहि निउणेहि वयणेहि चोययंति पायरिया । सीसे कहिंचि खलिए जह मेहमुणि महावीरो ॥१॥॥३॥ (नायाधम्मकहासुत्तस्स पढमे सुयखंधे पदम अज्झयस) ३. तावस-परिवायगा। (Copied from Jainágamodaya Samiti edition.) से जे इमे गंगाकलगा वाणं पत्था तावसा भवंति, तं जहा--होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जगणई सड्ढई थालई हुंपउट्ठा दंतुक्खलिया उम्मज्जगा सम्मजगा निमज्जगा संपक्खाला दक्षिणकूलगा उत्तरकलगा संखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिणो वाकवासिणी अंबुवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो बेलवासिणो रुक्खमलिया अंबुभक्विणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणोमलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतय पत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेयकढिणगायभूया पायावणाहिं पंचग्गितावेहि इंगालसोल्लियं कंदुसील्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा बहूई वासाई परियायं पाउणंति बहूई वासाइ परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं जोइसिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, पलिओवमं 1 D अप्पोलभ 2 Doहि य 3. Pischel $62 वाग * Leumann वालाई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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