________________
संगोष्ठी के तृतीय सत्र में दिनांक : १३-१०-२०१० को सभी विद्वानों की एक आवश्यक बैठक रखी गयी। उसमें प्रथम विश्व प्राकृत सम्मेलन के आयोजन के संबन्ध में विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये। प्रायः सभी विद्वानों की यह राय प्रथम विश्व प्राकृत सम्मेलन २०१२ में पूरी तैयारी के साथ आयोजित हो। उसमें दो-तीन सौ विद्वान आंन्त्रित हों, किन्तु शोधपत्र ४० - ५० ही रखे जाय, जिन्हें पूर्व में प्राप्त कर लिया जाय । सम्मेलन की भाषा अंग्रेजी और हिन्दी हो, किन्तु अन्य भाषाओं के लेखों के अनुवाद की भी सुविधा हो । आयोजन में राज्य एवं केन्द्र सरकार के सहयोग के साथ समाज का सहयोग लिया जाय, किन्तु आयोजन किसी प्रतिष्ठित प्राकृत संस्थान द्वारा किया जाय, जिसके पास इसके लिए पूरा ऑफिस, स्टॉफ एवं साधन हों । सम्मेलन का स्थान शांतिप्रिय, शैक्षणिक वातावरण वाला हो, जहाँ संदर्भ ग्रंथालय की भी व्यवस्था हो । परमपूज्य स्वामी जी ने इस बैठक के समापन कर कहा कि यह प्रारंभिक बैठक है, अभी इस विषय पर अन्य बैठकें भी हो सकती है। सम्मेलन के पूर्व सभी तैयारियाँ करना जरुरी है ।
:
इस संगोष्ठी में निम्नांकित प्राचीन प्राकृत ग्रंथों पर शोधपत्र प्रस्तुत किये गये
समणी डॉ.मंगलप्रज्ञा, लाडनूँ
प्रो. महावीर राज गेलड़ा, जयपुर
प्रो. दयानन्द भार्गव, जयपुर
प्रो. राजाराम जैन, नोएडा
प्रो. सागरमल जैन, शाजापुर
१. सूत्रकृतांग २. आयारो
३. समयसार
४. महापुराण (अपभ्रंश)
५. इसिभासिय
६. पंचास्तिकाय
१०. बारस अणुक्खा
११. कसायपाहुड
१२. ज्ञाताधर्मकथा
१३. भगवती आराधना
१४. प्रवचनसार
१५. महाकवि स्वयंभू का साहित्य
१६. पंचास्तिकाय
Jain Education International
:
:
७. मूलाचार
८. कन्नड साहित्य में प्राकृत गाथाएँ :
९. भट्टारकों का प्राकृत साहित्य
:
:
: प्रो. कल्पना जैन, दिल्ली
प्रो. पद्मा शेखर, मैसूरु
प्रो. शुभचन्द्र, मैसूरु
प्रो. आर. पी. पोद्दार, पूना
प्रो. प्रेम सुमन जैन, उदयपुर
प्रो.श्रेयांशकुमार जैन, जयपुर
डॉ. सरोज जैन, उदयपुर
डॉ. अनेकान्त जैन, दिल्ली
:
:
:
:
:
:
प्रो. नलिनी जोशी, पूना
डॉ. एन. सुरेशकुमार, मैसूरु
प्रो. कमला हम्पना, बैंगलूरु
(xxiv )
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org