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१७. षट्खण्डागम
: डॉ. जयकुमार उपाध्ये, दिल्ली १८. प्राकृत मुक्तक काव्य __: डॉ. रजनीश शुक्ला, दिल्ली १९. द्रव्यसंग्रह
: डॉ.ब.धर्मेन्द्र जैन, जयपुर २०. मृच्छकटिकं
: डॉ. सुदर्शन मिश्रा, जयपुर २१. जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति
: तेजस्विनी जांगड संगोष्ठी में प्रतिभागियों के निम्न विषयों पर लेख आमंत्रित किये गये :२२. तिलोयपण्णत्ती : डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर २३. प्राकृत शिलालेख : डॉ.एम.ए.जयचन्द्र, बैंगलूरु २४. रयणसार
प्रो.एस.पी.पाटील, सांगली २५. समणसुत्तं
: प्रो.गीता मेहता, मुम्बई २६. सन्मतिसूत्र
डॉ.जे.बी.शाह, अहमदाबाद २७. धवला टीका
: डॉ.उदयचन्द्र, जैन, उदयपुर २८. व्यवहार भाष्य
: डॉ.यूमी फ्यूजी मोटो, पूना २९. प्राकृत और कन्नड साहित्य : प्रो. हम्पा नागराजय्या, बैंगलूरु ३०. विदेशों में प्राकृत पाण्डुलिपियाँ : प्रो.नलिनी बलबीर, फ्रान्स ३१. प्राकृत के दार्शनिक ग्रंथ : डॉ. जयेन्द्र सोनी, जर्मनी ३२. विदेशों में प्राकृत स्टडी : डॉ.ल्यूटगार्ड सोनी, जर्मनी ३३. म्यूनिख में प्राकृत स्टडी ३४. समराइच्चकहा
: समणी ऋजु प्रज्ञा, लाडनूँ ३५. अंगबिज्जा
: समणी रमणीय प्रज्ञा, लाडनूं
३६. षट्खण्डागम
प्रो.एस.आर.बनर्जी, कोलकत्ता
संस्तुतिया
इस संगोष्ठी के समापन सत्र में सभी प्रतिभागी विद्वानों को फल-मंजूषा एवं शाल-हार से सम्मान किया गया। सभी प्रतिभागी विद्वानों की ओर से प्रो.दयानन्द भार्गव,जयपुर एवं प्रो.महावीर राज गेलड़ा ने संगोष्ठी की निम्नांकित संस्तुतियाँ प्रस्तुत की, जिनका सभी विद्वानों ने समर्थन किया -
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