SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 508
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (488) : नंदनवन 2. आहार-संयम से स्वहित एवं लोक हितकारी कार्यों में प्रवृत्ति होगी एवं जीवन अध्यात्ममुखी बनेगा। 3. आहार-संयम से बाह्य और आभ्यन्तर तप के अभ्यास में रुचि बढ़ेगी। 4. मानव का समग्र जीवन अपने एवं समाज के हित, सुख, धार्मिकता एवं समृद्धि के संवर्धन में प्रेरक बनेगा। 5. आहार-संयम से आन्तरिक एवं भौतिक पर्यावरण के संयमन में सहायता मिलेगी। वस्तुतः आहार-संयम का मूल आधार अहिंसा ही है। अन्य सभी बिन्दु उनके विस्तार मात्र हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि स्वास्थ्य विज्ञान ने धर्मज्ञों की प्रायः सभी उक्त मान्यताओं को प्रयोगपुष्ट किया है और उन्हें अपनी चिकित्सीय प्रणाली में समाहित करना प्रारम्भ कर दिया है। यहां यह ध्यान में रखना चाहिये की उपरोक्त शास्त्रीय प्रवृत्तियां व्यक्तिलक्षी हैं। पर उन्हें वर्तमान युग के परिप्रेक्ष्य में समाजलक्षी एवं राष्ट्रलक्षी बनाना चाहिये। हमें धर्मज्ञों के व्यक्तिवादी कर्मवाद कारण-कार्य नियम को समाजवादी प्रभावों में विस्तारित करना होगा क्योंकि सापेक्षता सिद्धान्त की व्याख्या ने प्रायोगिक रूप से यह सिद्ध कर दिया है कि विश्व का प्रत्येक सूक्ष्म और स्थूल तन्त्र एक दूसरे से सम्बन्धित एवं प्रभावित रहता है। इसीलिए समूहवादी कर्मवाद का प्रसार करना होगा। तभी पर्यावरणसंयम और आहार-संयम का लोक कल्याणकारी रूप निखरेगा। पाठ्य-सामग्री 1. एफ. ओवन; व्हाट इज इकोलोजी, ऑक्सफोर्ड यूनि.प्रेस, न्यूयार्क, 1974 2. एम.फुकुओका; दी रोड टू नेचर, बुकवेंचर, मद्रास, 1987. 3. रेमेट, हरमान; इकोलाजी, स्प्रिंगर-वरलाग, बर्लिन, 1980. 4. रूथ, मूर; मैन इन दी एन्वायरमेंट, टाटा-मैग्रॉहिल, दिल्ली, 1975, 5. शाह, नटूभाई, पर्यावरण और जैन धर्म, कासलीवाल अभि, ग्रंथ, रीवा, 1998. 6. जैन, मधुः शाकाहार : तुलनात्मक विचार, वही, 1998. 7. भाट, व्ही. एम.; योगिक पावर्स एंड रियलाइजेसन, भा. विद्याभवन, बंबई, 1964. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy