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________________ (464) : नंदनवन (13) अनन्तकायिक या कन्दमूल वनस्पति सामान्यतः ये वे वनस्पति हैं जिनके खाद्य-अंश मुख्यतः जमीन के अन्दर पैदा हाते हैं, पर इनके पौधे जमीन के ऊपर रहते हैं। इसीलिये इन्हें गढन्त भी कहते हैं। इन्हें अनन्तकायिक इसलिये कहते हैं कि इनके अनेक भागों से तज्जातीय नये पौधे जन्म ले सकते हैं। इनका प्रत्येक फल अनेक जीवयोनि-स्थान माना जाता है। इनके भक्षण से, प्रत्येक वनस्पति की तुलना में, अधिक हिंसा सम्भावित है, अतः इन्हें अभक्ष्य कोटि में माना गया है। सामान्यतः इनमें बाहरी जीवाणु नहीं होते, लेकिन वे परिवेश की विकृति से उत्पन्न हो सकते हैं। इस श्रेणी के खाद्यों में मूली, गाजर, अदरक, हल्दी, मूंगफली, आलू, घुइयां, शकरकन्द, जमीकन्द, चुकन्दर, सूरण, शलजम, मुरार, लहसुन और प्याज आदि समाहित होते हैं। इनमें प्याज, लहसुन, प्रकृत्या हरी और शुष्क दोनों प्रकार की मिलती हैं। हल्दी और अदरक को सुखाकर रखा जा सकता है। मूली-गाजर नहीं सुखाये जाते, पर उनको अचार बनाकर परिरक्षित किया जा सकता है। मूंगफली सवल्कल होने के कारण भक्ष्यता की दृष्टि से कभी विवादग्रस्त नहीं रही। शाक-भाजियों के सम्बन्ध में तो सचित्त-अचित्त का विचार भी किया गया है, पर कन्दमूलों के सम्बन्ध में यह चर्चा नहीं मिलती। आगमकाल से साधु के लिये और बाद में गृहस्थ के लिये इनकी अभक्ष्यता का विधान है। साध्वी मंजुला ने अचित्त करने पर इनकी सामान्य भक्ष्यता प्रतिपादित की है। ___ इस कोटि के पदार्थों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है : (1) शर्करा या कार्बोहाइड्रेटी (धान्यों के समान आलू, घुइयां, विभिन्न कन्द आदि) और (2) अ-कार्बोहाइड्रेटी (मूंगफली, अदरक, हल्दी आदि)। इनमें से अधिकांश का रासायनिक संघटन ज्ञात किया जा चुका है। इनमें शाकों की तुलना में जलांश कम होता है। इनकी सैद्धान्तिक अनन्तकायता के बावजूद भी, खाद्य-घटकीय उपयोगिताएं बहुमूल्य हैं। एक ओर मूली, गाजर, अदरक, प्याज, लहसुन, हल्दी आदि हमारे शरीर के लिये आवश्यक खनिज, विटामिन एवं रोग-प्रतिरोध क्षमताजनक घटक प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर आलू, शकरकन्द, चुकन्दर आदि सरलतः सुपाच्य शर्करायें प्रदान करते हैं। इसीलिये आगमों में इन्हें कच्चा खाने का निषेध तो है, पर पकाकर, तलकर (निर्जीवीकरण, अचित्त) खाने का निषेध नहीं है। रोगी को स्वस्थ होने के लिये डॉक्टर आलू खाने का निर्देश देते हैं। लू लगने से बचने के लिये महिलायें अभी भी यात्रा के समय गांठ में कुछ पैसों के साथ प्याज की गांठ बांधती हैं। लहसुन तो रक्तचाप, गैस आदि अनेक बीमारियां दूर करता है। उसके सत्व से निर्मित बिस्किटें आज बाजार में खूब मिलती हैं। हल्दी की उपयोगिता प्रसवोत्तरा महिला से पूछिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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