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प्रस्तावना
प्रतिक्रमण सूत्र 'प्रबोध टीका, भाग- १,२ का आधार लिया गया है. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा स्थित आचार्यश्री कैलास सागरसूरि ज्ञान मंदिर के कम्प्यूटर विभाग में प. पू. विद्वान मुनिराज | श्रीअजय सागरजी महाराज साहेब एवं प. पू. विद्वान मुनिराज | श्रीअरविंद सागरजी महाराज साहेब के मार्गदर्शन व प्रयासों से एवं कर्मचारी गण- प्रोग्रामर श्री प्रीतेनकुमार शाह. कंपोजर अमीतकुमार शाह, जिज्ञेशकुमार शाह एवं केतनकुमार शाह के विशेष प्रयासों से इस पुस्तक का संपूर्ण कंपोजिंग कार्य कम्प्यूटर द्वारा संभव हो सका है.
अंत में इस पुस्तक को तैयार करने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग देनेवालों का भी मैं आभारी हूँ.
पंडित श्री वीरविजयजी जैन उपाश्रय, भट्ठी की बारी, गांधी रोड पुल के नीचे,
अहमदाबाद
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन भाग
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निर्वाणसागर. सं. २०५३ का. शु. ५ दि. १५-११-१९९६
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published by Jain Sahitya Vikas Mandal, Mumbai.
Under the guidance and with the efforts of learned munirāja śri ajaya sāgaraji mahārāja sāheba and learned munirāja śrī aravinda sāgaraji mahārāja sāheba and with the special efforts of programmer Śrī pritenakumāra sāha, Composers sri amitakumāra śāha, jijñeśakumāra śāha and ketanakumāra saha, the staff members of computer section of ācārya śri kailāsa sāgara sūri jñāna mandira situated at śrī mahāvira jaina ārādhanā kendra, koba composing of this complete book was possible through computer.
Finally I am grateful to all those who have directly or indirectly assisted me in publishing this book.
Pandit Sri Virvijayji Jain Upashrya, Bhatti ki bari, Below Gandhi road bridge, Ahmedabad.
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Preface
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nirvāna sāgara. Sam. 2053, Kartik Shukla 5 Dt. 15-11-1996
Pratikramana Sūtra With Explanation Part-1
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