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प्रस्तावना
Preface परम पूज्य सम्मेत शिखर तीर्थोद्धारक, प्रवचन प्रभावक आचार्यदेव | This book could be finished only with the grace of most reverent Sammeta |श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहेब की कृपा दृष्टि से यह पुस्तक | Sikhara tirtha saviour, impressive discourser acaryadeva sri padmasagara तैयार हो सकी है. इनका भी मैं सदा ऋणी रहूँगा..
sūriśvaraji mahārāja sāheba I will be indebted to him also. मैं अपने विद्वान गुरुदेव परम पूज्य उपाध्याय श्री धरणेंद्रसागरजी I can not forget my learned Gurudeva upādhyāya sri dharmendra sāgaraji महाराज साहेब को भी नहीं भूल सकता हूँ.
mahārāja sāheba | प.पू. स्वर्गस्थ पंन्यास प्रवर श्री सूर्यसागरजी गणि महाराज साहेब I am also grateful to most reverent learned munirāja sri mitrānanda sāgaraji के विद्वान शिष्यरत्न मुनिराज श्री मित्रानंद सागरजी महाराज साहेब | maharaja saheba, a desciple of late pannyāsa pravara sri sury sagaraji gani का भी आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के हिंदी भाग का प्रूफ-रिडिंग | maharajasaheba who has given me full co-operation in proof-reading of Hindi कर इस कार्य में पूर्ण सहयोग दिया है.
print of this book. इस पुस्तक के अंग्रेजी विभाग की भाषा और व्याकरण शुद्धि हेतु | lamgrateful to late Prof. Sri RamanbhaiJ.Majmudar for his co-operation| स्व. प्रो. श्री रमणभाई जे. मझमुदार के सहयोग के लिये मैं उनका | in making linguistic and grammatical corrections of English part of this book. आभारी हूं.
प्रस्तुत पुस्तक संबंधी भिन्न-भिन्न समुदायवर्ति पूज्य आचार्य भगवंत आदि Opinions and blessings regarding the present book are received from के अभिप्राय व आशीर्वाद प्राप्त हुए हैं. तदर्थ उन सबका मैं ऋणि हूं. venerable acārya bhagavantasetc. of various groups. For that, lamgreatful to
all of them. प्रस्तुत पुस्तक में प्रतिक्रमण के सूत्र, उनके शब्दार्थ, गाथार्थ, | sutras of the pratikramana, their literal meanings, stanzaic meanings, विशेषार्थ एवं सूत्र परिचय को तैयार करने में मुख्यतः पू. पंन्यास श्री | specific meanings and introduction of the sutras are prepared mainly on the भद्रंकर विजयजी गणि एवं मुनि श्री कल्याणप्रभ विजयजी द्वारा | basis of sri pratikramana sutra prabodha tika, Part-1,2 edited by venerable| |संपादित जैन साहित्य विकास मंडल, मुंबई द्वारा प्रकाशित श्री pannyāsa sri bhadrankara vijayaji gani and muni sri kalyānaprabha vijayaji
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग - १
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Pratikramana Sutra With Explanation - Part - 1
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