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२२. पुक्खर-वर-दीवड्ढे सूत्र सूत्र विभाग १४२ sutra part
22. pukkhara-vara divaddhe sutra विशाल सुख को देने वाले, देवेंद्र, दानवेंद्र और नरेंद्रो के समूह से पूजित | annihilator of birth, old age, death and grief, granter of great blissandever-lasting [श्रुत] धर्म के सार को प्राप्त कर कौन प्रमाद करेगा?............. ३. happiness and worshipped by the assembly of devendras, dānavendras and narendras. ....
...................3. हे मनुष्यों! मैं सिद्ध जैन मत को आदर पूर्वक नमस्कार करता हूँ. संयम | Oh wise men! I obeisance respectfully to the well known jaina doctrines. [That) में सदा वृद्धि करने वाला, देव, नाग कुमार, सुवर्ण कुमार और किन्नर everlasting (śruta) dharma progressing always in self-control, adored by the देवों के समूह द्वारा सच्चे भाव से पूजित, जिसमें लोक और यह जगत् assembly of devas, nāga kumāras, suvarna kumāras and kinnara devas with प्रतिष्ठित है और तीनों लोक के मनुष्य और असुरादि का आधार रूप | heartfelt devotion, in which knowledge of universe and this world is presentand शाश्वत [श्रुत] धर्म वृद्धि को प्राप्त हो. विजयों से चारित्र धर्म वृद्धि को | like the support of men and asura etc. of all the three worlds may attain प्राप्त हो.
prosperity. The caritra dharma may attain prosperity by victories... श्रुत भगवान की आराधना के लिये] मैं कायोत्सर्ग करता हूँ, I perform kāyotsarga (for the worship of the god of śruta. विशेषार्थ :
Specific meaning - प्रमाद = आलस / आत्म हित के प्रति असावधानी और सत्क्रियाओं से | pramāda = Idleness /Negligence towards self-interest [spiritual interest] and विमुखता.
aversion from worthy spiritual rites. संयम / चारित्र = कषाय और योग का निग्रह
sanyama/caritra = Overcoming of kasaya and yoga. पैंतालीस क्षेत्र = [पंद्रह कर्म भूमि और तीस अकर्म भूमि] :- जंबू द्वीप | Forty five regions [fifteen lands of activities and thirty lands of inactivity] :
में भरत, हैमवत, हरि, महाविदेह, रम्यक्, हैरण्यवत और ऐरावत There are seven regions in jambū dvipa namely bharata, haimavata, hari, नामक सात क्षेत्र हैं. इन्हीं नाम के दुगुणे चौदह-चौदह क्षेत्र धातकी mahāvideha, ramyak, hairanyavata and airāvata. There are double [fourteen
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग-१
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Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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