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१४. जावंति चेइआई सूत्र
सूत्र विभाग
१४. जावंति-चेइआई सूत्र
जावंति चेइआई, उड्ढे अ अहे अ तिरिअ-लोए अ. सव्वाइं ताइं वंदे, इह संतो तत्थ संताई.
इह संतो यहाँ रहा हुआ
इह = यहाँ, संतो = रहा हुआ तत्थ संताई = वहां रहे हुए
तत्थ = वहां, संताइं = रहे हुए
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन भाग १
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शब्दार्थ :
| जावंति चेइआई = जितने जिन चैत्य
जावंति = जितने चेइआई = चैत्य
उड्ढे अ अहे अ तिरिअ लोए अ = उर्ध्व लोक [स्वर्ग], अधो लोक [पाताल] और तिर्यक् / मध्य [मनुष्य ] लोक में
उड्ढे = उर्ध्व, अ = और, अहे = अधो, तिरिअ = तिर्यक्, लोए = लोक में
| सब्वाई ताई वंदे = उन सब को मैं सव्वाइं = सब को, ताइं = उन
वंदन करता हूँ
वंदे = मैं वंदन करता हूँ
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sutra part
jāvanti ceiāim, uḍdhe a ahe a tiria-loe a.
9. savvaim taim vande, iha santo tattha santāim.
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14. jāvanti- celaim sūtra
Literal meaning :
jāvanti ceiāim = as many as jina temples
jāvanti = as many as ceiāim = temples
uddhe a ahe a tiria loe a = in upper world [heaven], lower world [nether world / hell] and central world [world of human beings]
uddhe = in upper, a = and ahe = lower, tiria = central, loe world
14. jāvanti-claim sūtra
savvāim tāim vande i am obeisancing to all of them
savvāim = to all of, tāim = them, vande = i am obeisancing
iha santo being here
iha = here, santo = being
tattha santaim = present there
tattha = there, santāim = present
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Pratikramana Sūtra With Explanation - Part-1
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