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११.जग-चिन्तामणि चैत्य-वन्दन सूत्र विभाग ८४ sutra part
11. jaga-cintāmani caitya vandana १,००,००,००० [एक क्रोड़]...................= १०[दस मिलीयन 1,00,00,000 [one crore].....
.....= 10 [ten] million १०,00,00,000 [दस क्रोड़]. ............... = १०० [एक सौ] मिलीयन | 10,00,00,000 [ten crore].............. ....... = 100 [one hundred] million १००,००,00,000 [एक सौ क्रोड़ । एक अबज] = १,००० (एक | 100,00,00,000 [one hundred.crore/one abaj]....... = 1,000 [one thousand] हजार मिलीयन
million १०००,००,00,000 [एक हजार क्रोड़/दस अबज] % १०,००० [दस 1000,00,00,000 [one thousand crore/ten abaj].... = 10,000 [ten thousand]] हजार मिलीयन
million सूत्र परिचय :
Introduction of the sutra :चैत्य-वंदन के रूप में रचित इस सूत्र से सर्व तीर्थकर भगवंतों, प्रसिद्ध | Theglorification of all the tirthankara bhagavantas, famous places ofpilgrimage, तीर्थों, सर्व चैत्यों [मंदिरों और जिन प्रतिमाओं की स्तुति तथा श्रमण | temples and jina idols and obeisance to the śramana bhagavantas etc. is being भगवंतों आदि को वंदन किया गया है.
done by this sūtra composed in the form of a caitya-vandana.
प्रतिक्रमण सूत्र सह विर्वेचन - भाग-१
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Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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