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११. जग-चिन्तामणि चैत्य-वन्दन सूत्र विभाग ८२ sutra part
11. jagacintamani caitya-vandana में विराजित हे श्री मुनिसुव्रत स्वामी!, दुःख और पाप का नाश करन | munisuvratasvamigracing bharücal, oh sri parsvanāthagracing mathura, the वाले मथुरा में विराजित हे श्री पार्श्वनाथ! आपकी जय हो! महाविदेह destroyer of agonies and sins be your victory. I am obeisancing to all [those] क्षेत्र के तथा चारों दिशाओं और विदिशाओं में जो कोई भी अन्य तीर्थकर | tirthankaras of mahāvideha region and any of the other jinesvaras existed in भूत काल में हुए हों, भविष्य काल में होने वाले हों और वर्तमान काल | past, will exist in future and exists at present in all directions and intermediate |में हए हों उन सर्व जिनेश्वरों को मैं वंदन करता हूँ...............३. | directions..
..................3. तीनों लोक में स्थित आठ क्रोड़ सत्तावन लाख दो सौ बयासी | I am obeisancing to eight crore fifty seven lac two hundred and eighty two ८.५७.०० २८२ जिन चैत्यों को मैं वंदन करता हूँ...................४. |18,57,00,282] jina temples present in all the three worlds. ........ तीनों लोक में स्थित पंद्रह अरब बयालीस क्रोड़ अट्ठावन लाख छत्तीस | lamobeisancing to fifteen arab forty two crore fifty-eight lac thirty six thousand हजार अस्सी [१५.४२,५८,३६,०८०) शाश्वत जिन प्रतिमाओं को मैं वंदन | and eighty[15,42,58,36,080] eternal jinaidols (presentinall the three worlds].5. करता हूँ. विशेषार्थ :
Specific meaning:कर्म भूमि :
karma bhūmi :१. असि [शस्त्र], मसि स्याही] और कृषि खेती] के व्यापार वाली | 1.The landofactivities witharms,inkand farmand the land fit for the observance
भूमि एवं जीव द्वारा संयम, तप आदि के पालन तथा मोक्ष गमन | of self-control, penance etc. and suitable for movement towards salvation.
के योग्य भूमि, २. अढाई द्वीप में स्थित पाँच भरत, पाँच ऐरावत और पाँच महाविदेह | 2. The regions of five bharata, five airāvata and five mahāvideha situated in
Sadhai dvipa [two and a half ilands).
क्षेत्र.
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग-१
Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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