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९. करेमि भंते सूत्र
सूत्र विभाग sutra part
9. karemi bhante sutra हूँ [तब तक सावध योग का दो प्रकार से-न करूँ और न कराऊँ और |lam taking the paccakkhana of sinful activities in two ways-- would not do and तीन प्रकार से- मन, वचन और काया से पच्चक्खाण करता हूँ, हे | would not make others to do and in three ways-- by thought, by word and by भगवन्! उनका मैं प्रतिक्रमण करता हूँ, निंदा करता हूँ, मैं गर्दा करता | action.Oh bhagavan!lam performing the pratikramana,lam condemning, lam हूँ और मैं [पापवाली आत्मा का त्याग करता हूँ.
censuring them and I am relinquishing the [sinful] soul. विशेषार्थ :
Specific meaning :सामायिक = समभाव का लाभ / आत्मा की अनादि कालीन विषम स्थिति sāmāyika = Benefit of equanimity / To integrate right faith, knowledge and
को दुर कर, सर्व जीवों के प्रति राग-द्वेष को नष्ट कर, स्व आत्म | conduct, warding off the disgraceful situation since times immemorial of the समान भाव रखते हुए सम्यग् दर्शन- ज्ञान और चारित्र का | souldestroying attachment andmaliceagainstall livingcreatures keeping the एकीकरण करना.
feelings of to be like one's own self. मन = आत्मा से भिन्न, शरीर व्यापी, पुद्गल द्रव्य से निर्मित, आत्मा | mana = Mind / The mean distinct from soul, pervading throughout the body,
द्वारा चिंतन-मनन करने का साधन / संकल्प विकल्प करने वाली composed of physical matters and a mean for contemplation and reflection नोइंद्रिय.
by the soul / A non-organ making alternative and final decision. निंदा = मन, वचन या काया से गलत प्रवृत्ति को गलत मानकर | ninda = Condemn/To repent accepting the improper activities as wrong with
पश्चात्ताप करना और उस गलती को पुनः न करने का संकल्प | heart, speech or body and determinate not to repeat that mistake again.
करना. गर्दा = अपनी गलती को गुरु आदि के समक्ष स्वीकार कर, मन से | garhā= Censure/To accept guilt before the preceptor etc. and to submit not
पश्चात्ताप करते हुए भविष्य में उस गलती को पुनः न करने का | to repeat theguilt in future, with firm determination and heartily repentance.
__ प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग - १
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Pratikramana Sutra With Explanation - Part -1
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