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________________ 32 (1) (3) (4) (5) (6) (Kth. Up. 1. 2. 18 = Gt. 2. 20; Mh. Up. 5.165) + अविनाशी तु तद् विद्धि... विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित् कर्तुमर्हति .... (Gt. 2. 17) जहा य अग्गी अरणी असंतो खीरे द्ययं तेल्लमहा तिलेसु, एवमेव जाया सरीरंसि सत्ता.... (2) (Utt. 14.18) (7) (8) Section 3: Uttaradhyayana-sūtra नत्थि जीवस्स नासु त्ति एवं पेहेज्ज संजए.... Cp. जीवापेतं वाव... म्रियते, न जीवो म्रियत इति .. + अविनाशी वा अरे अयमात्मा... + न जायते म्रियते वा विपश्चिद् अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराण: .. + क्षीरे सर्पिरिवार्पितम्... + अरण्यो र्निहितो जातवेदाः... Bansidhar Bhatt Cp. तिलेषु तैलं दधनीव सर्पिः, अरणीषु चाग्निः एवमात्मा गृह्यते .... (Śv. Up. 1. 15 + घृतमिव पयसि निगूढम् ... + तिलेषु तैलमिव.... + तिलानां तु यथा तैलम्... + तिलेषु च यथा तैलम्.... Cp. समौ शत्रौ च मित्रे च.. सव्वारंभपरिच्चाओ.... + Cp. सर्वारंभपरित्यागी... समलेडुकंचणे.... Cp. समलोष्टाश्मकांचन:.. समया सव्वभूएसुसत्तुमित्तेसु वा... समो य सव्वभूएसु.... Cp. समोऽहं सर्वभूतेषु... (Utt. 2. 27) (Ch. Up. 6. 11.3) (Bdā. Up. 4. 5. 14) Jain Education International लाभालाभे सुहे दुक्खे... समो निंदापसंसासु तहा माणावमाणओ.... Cp. स्तूयमानो न तुष्येत निंदितो न शपेत्परान्... Jambu-jyoti = Bhm. Up 1 ) (Śv. Up. 1. 16) (Kth. Up. 2. 4. 8) (Bhmbd. Up. 20) (Hms. Up. 4) (Dhbd. Up. 7) (Bhmvd. Up. 35 ) (Utt. 19.25) (Gt. 12. 18) (Utt. 19.29) (Gt. 12. 16) + सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ..... + समः... मानावमानयो:, तुल्यनिंदास्तुतिः.... + ...तुल्यनिंदात्मसंस्तुति:.... जहा पोमं जले जायं नोवलिप्पइ वारिणा, एवं अलित्तं कामेहिं तं वयं बूम माहणा... + तम्हा खलु अपरिसाडिणो बुद्धा नोवलिप्पंति पुक्खरपत्तं व वारिणा... For Private & Personal Use Only + सव्वे विरत्तो... न लिप्पए भवमज्झे वि संतो, जलेण वा पोक्खरिणी- पलासं ... (Utt. 35.13) (Gt. 14. 24) (Utt. 19. 89 ) (Gt. 9.29) (Utt. 19.90) (KthR. Up. 4) (Gt. 2. 38) (Gt. 12. 18-19) (Gt. 14. 24) (Utt. 25-27) (Utt. 32. 34 etc., passim.) (Rs. 22. 1) www.jainelibrary.org
SR No.006503
Book TitleJambu Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages448
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Philosophy, & Religion
File Size21 MB
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