________________
श्री उत्तराध्ययन माग दूसरे (अध्य. ४ से १४ त3) डी
विषयानुभशिष्ठा
अनु. विषय
पाना नं.
यौथा अध्ययन
१ राग्रस्त डा शराडा अभाव २ पराग्रस्त शराडे अभाव विषयमें सहनभक्षा द्रष्टांत 3 धनलोभी नरगभन हा वर्शन ४ धनलोभ उपर दुर्धट योरठा द्रष्टांत ५ ठिये हमे धर्भ मिना लोगे निवृत नहीं होते है ६ अपने धर्मों भोग डे विषयमें दुर्वृत यौर हा द्रष्टांत ७ पाधष्ठर्भठी प्रसंशा अनेटाने अनर्थोष्ठा छारा मनती है,
उस विषयमें हुति योरठा द्रष्टांत ८ भइल भोगते सभय सांधवों डी असहायता ८ मै इस भोगते विषयमें ग्वालिन छो ठगनेवाले
वशिछा द्रष्टांत १० द्रव्य से त्रा-रक्षाा डा अभाव ११ द्रव्य रक्षा नहीं हर सता है छस विषयमें पुरोहित
पुत्र हा द्रष्टांत १२ सभ्यग्दर्शनाहिउठो प्राप्त रछे भी भोहाधीन व उसठा __ नहीं पानेवाला *सा होता है, छस पर धातुवाही पु३षष्ठा
द्रष्टांत १३ प्रभा नहीं रने हा उपदेश १४ प्रभात्याग के विषय में अगऽत्त डा द्रष्टांत १५ निर्यारा लाभ लिये शरीरला पोषरा श्रेयस्कर है,
छस विषयमें भूलदेव राणा द्रष्टांत १६ गुठी आज्ञा के पासनसे ही भुनिछो भोक्षष्ठी प्राप्ति होती है,
छस विषयमें अश्वद्रष्टांत १७ गु३छी आज्ञामें प्रभाह त्यागनेडा उपदेश
गुच्छी माज्ञामें प्रभाठे विषयों प्रामाशीष्ठा द्रष्टांत
શ્રી ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૨