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श्री
पभमुद्रीपप्रज्ञप्तिसूत्र भाग १ ही विषयानुभशिष्ठा
अनुभांड
विषय
पाना नं
૧૦ ११ ૧૨ ૧૩ १४ ૧૫ ૧૬ १७ ૧૮
प्रथम वक्षस्वार भंगलायरा प्रस्तावना नभस्टार निक्षेप गौतभस्वाभी छा वार्शन पभ्सुदीप तु सभ्अन्धमें प्रश्नोतर अभ्युद्वीप ठा प्राठारभुतगती ठा वर्शन पद्मवरवेष्ठिा अहिर्भागस्थ वनषंठा वर्शन वनजंऽ ही भूभी भाग हा वर्शन
भ्युद्वीप ही द्वारसंज्या मेवं द्वारों हे स्थान विशेष हा वायन भरतक्षेत्र हे स्व३५ठा वर्शन घक्षिाशार्घ भरतवर्ष हा निधारा घक्षिागार्घभरत ठासीभाठारी वैताढय पर्वत जहां है? उसठा ज्थन वैताढय पर्वतछे पूर्व पश्यिभ भागभे आगत हो गुहाओंडा वार्शन आभियोग हो श्रेणी हा नि३पारा सिद्धायतनछूटठा वार्शन घक्षिाशार्घ भरतछूटठा नि३पाराभ वैताढय नाभ होने । छारा छा ज्थन उतरभरतार्द्ध छा स्व३प वार्शन उतरार्धभरतमें ऋषभटपर्वतष्ठा नि३पारा
दुसरावक्षस्डार-प्रथभार: हालझे स्व३पठा नि३पाश सुषभासुषभानाभही अवसर्पिणी हा नि३पारा उत्पवृक्ष डे स्व३पठा ऽथन सुषभसुषभाठालमें उत्पन्न भनुष्यों तु स्व३पठा ज्थन सुषभसुषमाठालभावि भनुष्यठे आहारराठिा हथन युगलियों : निवास हा नि३पारा सुषभसुषमा डालमें गृहाहिले होने हे संमन्धमें प्रश्नोतर सुषभसुषमा हिठामें राजहिछे विषयमें प्रश्नोतर उसालमें आआह विवाहादि विषयों प्रश्नोतर उसालमें शष्टाहिले अस्तित्वसंबन्धी प्रश्नोतर सठा सभे गर्ताहिछे संबन्धमें प्रश्नोतर
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જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર