________________
४सा ५५५ (अजहण्णमणुकोसगुणकालए वि एवं चेव) मध्यम शुरु ।। ५९ से ५४२ (नवर) विशेष से छे ? (सहाणे छट्ठागवडिए) स्वस्थानमा ५४ ५४२थान पतित छे (एवं पंच वण्णा) ये रे पांच वर्ष (दो गंधा) मे. ध (पंचरसा) पाय २स (अद्वकासा) मा २५
(जहण्णाभिणिबोहियनाणीण भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पण्णत्ता ?) 3 लगवन् धन्य समिनिमाथि शानी ५ येन्द्रिय तिय योन। है। पर्याय ४ छ ? (गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता) गौतम ! मनन्त पर्याय ४ छे (से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहण्णाभिणिबोहियनाणीणं तिरिक्खजोणियाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता !) सावन् ॥ ४॥२॥णे सेभ छ
धन्य मानिनिमाधि४ज्ञानी तिय याना मनन्त पर्याय ४ा छ ? (गोयमा ! जहण्णाभिनिबोहियनाणी पंचिं दियतिरिक्खजोणिए जहण्णामिणिबोहियणाणिस्स पंचि. दियतिरिक्खजोणियस्स) 3 गौतम! धन्य मानिनिमाधि ज्ञानी पन्द्रिय मी धन्य मालिनिमावि ज्ञानी पथेन्द्रिय तिय यथी (दव्वद्रयाए तल्ले) द्रव्यनी अपेक्षाये तुल्य छ (परसट्टयाए तुल्ले) प्रदेशथी तुल्य छ (ओगाहणट्ठयाए च उट्ठाणवडिए) २३१२|नाथी यतु:स्थान पतित छ (ठिईए चउट्ठाणवडिए) स्थितिथी यतुःस्थान पतित छ (वण्णगंधरसकासपज्जवेहि छहाणवाडिए) पण, मध, २स; २५ ॥ पायोथी ५८स्थान पतित छे (आभिणिवोहियताणपज्जवेहि तुल्ले) सामानमाधि४ ज्ञानना पर्यायोथी तुल्य छे. (सुयनाणपज्जवेहिं छठ्ठाण बडिए) श्रुतज्ञानना पर्यायोथी ५८स्थान पतित छ (चक्खुदसण पज्जवेहिं छठीण वडिए) यक्षुश नाना पर्यायाथी ५८स्थान पतित (अचक्खुदसणपज्जवेहि छट्ठाण वडिए) अयश नाना पायाथी ५८२थान पतित __(एवं उक्कोसाभिणिबोहियनाणी वि) मे०४ ४ारे उत्कृष्ट मालिनिमाथि शानी ५५५ (नवर) विशेष (ठिईए तिढाणवडिए) स्थितिथी १ स्थान पतित (तिन्नि नाणा) त्र ज्ञान (तिन्नि दसणा) १ ४शन (सदाणे तुल्ले) स्वस्थानमा तुल्य (सेसेसु छट्ठाणवडिए) शेषमा ५८स्थान पतित (अजहण्णमणुकोसाभिणि
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
२४८