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________________ ૧ भान्ड २ 3 ४ น ६ ७ ८ ८ १० ૧૧ ૧૨ ૧૩ ૧૪ ૧૫ ૧૬ १७ १८ ૧૯ २० ૨૧ श्री वालिगमसूत्र डी विषयानुभ विषय तीसरी प्रतिपत्ति वनषन्गत वापी आहिडा वन जूद्विप द्वार संज्या प्रा निरुपाविभ्यद्वार होनों पार्श्वभाग हा वन विभ्यद्वार के पार्श्व में रहे हुवे नैषेधिडी डा वनविभ्यद्वार में रहे हुवे यध्वभाि निरुपा विभ्या रा४धानी प्रा स्थल जेवं उनका विस्तार जाहि प्रथन विभ्या रा४धानी के यारों जोर वनषन्डाहि प्रा निरुपा सुधर्माला प्रा जेवं उसी मापीठिडा वन शानो का सिद्धायतन तथा उपपातसला प्रा वन विभ्यहेव प्रा सलिषे वन विभ्यवान (अमहेव ) प्रतिभा डा पूना वनविभ्यद्वारा वन यमपर्वत के नाम खेवं नीलवंताहि द्रह का प्रथन पीठ स्वरुपाथन ४म्पूवृक्ष डी यार शाजाओं का वर्शन पाना नं मध्य में रहे हुने प्रासाावतंस प्रथनद्वीप में रहे हुजे सूर्य यन्द्रमा डी संज्या आहिडा प्रथनवएासमुद्र जेवं वासमुद्र में रहे हुने यन्द्राहि डी જીવાભિગમસૂત્ર ૧ १० ૧૯ ૨૩ 39 ३६ ४२ ५० ૬૪ ७१ ૯૧ १०१ ૧૧૦ ૧૨૫ ૧૨૯ १33 १३८ संख्या प्राथन वासमुद्र में ४ डी न्यूनाधिकता होने प्रा प्रथनवेलन्धर नागराष्ट्र तथा अनुवेलन्धर के खावास पर्वतों का निरुपा ૧૫૫ गौतमद्वीप के अधिपति सुस्थित गौतमद्वीप ा निरुपा १६६ १४० १४८
SR No.006445
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages498
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size23 MB
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