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________________ ૪૨ ४४ ४८ ४८ 40 પ૧ પ૩ પ૪ २० से २ धर्भ उरते है वैसा ही इस प्राप्त होनेठा नि३पारा २१ नरमें उत्पत्ति हे अनन्तर वहां दुःजानुभव छा नि३पारा २२ पापि छव नरष्ठों में उसी २ वेहना छो हितने छाला भोगते है उनठा नि३पारा २३ नारठीय व ज्या २ उहते है वह वार्यान २४ परभाधार्मिठ नारठीय शवोंठे प्रति ज्या २ उरते है उनष्ठा ध्थन २५ वेटनाओं से पीडित नारठावों आउंछा नि३पापा २६ परभाधार्मिष्ठों छेद्वारा ठी गछ यातनाओं हे प्रष्ठार ठा नि३पारा २७ यातना डे विषयमें आयुधों (शास्त्रों) हे प्रष्ठारों छा नि३पारा २८ परस्पर में वेटना छो उत्पन्न उरते हमे नारठीयों ही हशा ठा वर्शन २८ नारठवोंठे पश्चाताप ठा नि३पारा उ० तिर्थगति छवो डेटःजो ठा नि३पारा १ यतुरिन्द्रिय अवों दुःज ठा नि३पारा ३२ त्रिन्द्रिय छवों छेटुःज ठा नि३पा 33 द्विन्द्रिय छवों दुःज ठा वर्शन उ४ सेठेन्द्रिय छवटज छा वर्शन उ4 दुःजो प्रष्ठार डा वर्शन उ६ भनुष्यभव में दुःजो रे प्रहार छा नि३पारा पप ५७ ५८ ૬૧ www ६८ ठूसरा अध्ययन ७ ७५ ७८ ८० उ७ सीवयन ठा नि३पारा 3८ सलीध्वयन डे नाभ ठा नि३पा 3८ जिस भाव से अली वयन हा पाता है उसठा नि३पारा ४० नास्तिवाहियों छे भत ठा नि३पाया ४१ अन्य मनुष्यों भृषाभाषा छा नि३पारा ४२ भृषावाहियों व धातठवयन ठा नि३पारा ४3 भृषावाहियों ठो नरठ प्राप्ति३प इस प्राप्ति ठा वर्शन ४४ मीठ वयन छा इलितार्थ नि३पारा U ૯પ १०७ ૧૧૨ શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર
SR No.006438
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages411
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_prashnavyakaran
File Size16 MB
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