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छठ्ठा खेन्द्रिय शत
३९ पृष्ाश्यायुत् लवसिद्धि जाहि जेडेन्द्रिय भुवा निरपरा
सातवां खेवं साठवां येडेन्द्रिय शत
३७ नीललेश्यायुत् लवसिद्धिए जेडेन्द्रिय भुवों खेडादृश उदेशात्भ शत प्राथन ३८ प्रयोतलेश्यायुत् लवसिद्धिोंडे ग्यारह उद्देशात्म
आठवें शत5 Sा थन
नववां शत
3 जलवसिद्धि 5 जेडेन्द्रियों डा नि३पा
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शवां ग्यारहवां खेवं जारहवें शतS SI प्रथन
कृष्णा लेश्यावाले जलवसिद्धिका जेाघ्श उद्देशात्भ दृशवां येडेन्द्रिय शत5 नीललेश्यायुत् जलवसिद्धि डेन्द्रियों का ग्यारह उद्देशात्भ ग्यारहवां शतऽ तथा प्रोतश्यायुत् अलवसिद्धिोंडा जारहवां शत निपा
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योतीसवें शत डा जारंल
पहला अवान्तर शत प्रथम श
૪૧ विग्रहगति से जेडेन्द्रिय भवों प्रा नि३पए ४२ विग्रहगति से भुवों के उत्थात प्रा नि३पए ४३ रत्नप्रभा पृथिव्याश्रित पृथिव्याजेडेन्द्रिय वा
निपा
४४ शईराला पृथिव्यालित खेडेन्द्रिय भवों से उपपात जाहि प्राथन
सामान्य से अधाक्षेत्र उर्ध्वक्षेत्र का आश्रय रहे जेन्द्रिय भुवों प्रापयात प्राथन
४६ अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्विप्राय जाहि डे अधोलोड में विग्रहगति से उत्पात आहि डा प्रथन
४७ लोड डे पोरस्त्याहि यरभान्त विषय अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीप्राय डे उत्पति आहि डा प्रथन
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
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