________________
१०
૧૧
૧૩
डियावाहि भवों से लवसिद्धि जाहि होने प्रा प्रथन अनन्तरोपन्ननैरथिनों से डियावाही आहि होने डा प्रथन
१२ परंपरोपपन्न नैरथिडों डे डियावाही जाहि होने डा प्रथन
चौथे अश से ग्यारहवें पर्यन्त द्वे श
૧૪
तीसरा श
शकों से परिपाटि प्राथन
तीसवें शत का प्रथम श
यार प्रकार के युग्भो प्राथन
દૂસરા ઉદ્દેશક
१५ लेश्यावाले क्षुल्ल कृतयुग्भ नैरथि जाहि डे उत्थाE डा प्रथन
तीसरा उद्देश
१६ नीललेश्यावाले क्षुल्ल कृतयुग्भ नैरथि जाहिडों ऐ उत्पात आहि प्राथन
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭
ચતુર્થ ઉદ્દેશક
१७ प्रापोत लेश्यावाले क्षु कृतयुग्भ नैरथिों से उत्थात जाहि प्राथन
पांयवा श
१८ लवसिद्धि क्षु कृतयुग्भ नैरथिङों के उत्थात जाहि प्राथन
४८
३८
૪૨
४६
४७
પ
६०
६२
६४