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श्री भगवतीसूत्र भाग १७ छी
विषयानुभशिष्ठा
अनु.
विषय
पाना नं.
अठासवां शत: देश पहला
१ शवों में पाप उर्भ समान हा नि३पारा
દૂસરા ઉદેશક
२ सनतरोपपहनावों में पार्भ सभार्थन
छा नि३पारा
उन्तीसवें शतष्ठा पहला देश
3 शिष्ठों ही परिपाटि हाथन
उन्तीसवें शत:छा पहला Gटेश
४ पापर्भ लोगने छामेवं उनछो नष्ट ने छा ज्थन
टूसरा देश
५ अनन्तरोपपन्न नाराठिों ही आश्रित रहे
पापर्भ प्रस्थान आहिछा ज्थन
૧૩
तीसरा देश से ग्यारहवें पर्यन्त देशे छा ज्थन
६ नैरथिष्ठों उसयरभत्व, पाधष्ठर्भ भोगने छा ज्थन
१६
तीसवे शत: ला प्रारंभ-प्रथम देश
૧૮
७ शवोंधर्भमन्ध होने कारणों का ज्थन ८ छावों हे आयुषन्ध उा निधारा ८ नैरथिठों आयुषन्ध हा नि३पारा
૨પ
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૭