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________________ यूलि। छे. (सेसाई पुव्वाइं अचूलियाई) शेषाणि पूर्वाणि अचूलिकानिमानi पूर्वो यूलिया विनानां छे. (से तं चूलियाओ) ता एताश्चूलिकाःयूलिनु से प्रा२नु २५३५ छ. (दिहिवायस्स णं परित्ता वायणा) दृष्टिवादस्य खल परीताः वाचनाः-टवा २५गनी यात वायनासो छ, (संखेजा अणुओगदारा) संख्येयानि अनुयोगद्वाराणि-संध्यात अनुयो बार छ, संखेजाओ पडिवत्तीओ) संख्येयाः प्रतिपत्तयः-सभ्यात प्रतिपत्तियो छ, (संखेजाओ निजुत्तीओ) संख्येयाः नियुक्तयः-सज्यात नियुतिया छ, (संखेजा सिलोगा) संख्येयाः श्लोकाः-सभ्यात । छे, अने (संखेजाओ संगहणीओ) संख्येयाः संग्रहण्या-ज्यात स अडयो छ. (से णं अंगठ्याए बारसमे अंगे) स खलु अङ्गार्थतया द्वादशमङ्गम्-गानी अपेक्षा ते मारभु म छ, तभा (एगे सुयक्खंधे) एकश्रुतस्कन्धः-मे श्रुतः४५ छ, (चउदसपुवाइं) चतुर्दशपूर्वाणि-योछ. (संखेजावत्थ) संख्ययानि वस्तूनिसण्यात परतु छ, (संखेजा चूलवत्थू) संख्येयानि चूलवस्तूनि-मण्यात थूरा१२तु। , (संखेजा पाहुडा) संख्येयानि प्राभृतानि-सभ्यात प्रामत छ, (अन्यांश विशेषाने 'प्रामृत' ४९ छे.) (संखेज्जा पाहुडपाहुडा) संख्येयानि प्राभृत શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર ૩૫૬
SR No.006414
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages514
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size20 MB
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