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________________ शालस्य खलु पूर्वस्य त्रिंशत् वस्तूनि प्रज्ञप्तानी-प्रियाविशाल पूर्वनी 30 वस्तुओ छे. (लोग विंदुसारस्स पुव्वस्स पणवीसं वत्थू पण्णत्ता) लोकविन्दुसारस्य खलु पूर्वस्य पञ्चविंशतिर्वस्तुनि प्रज्ञप्तानि सोमिन्दुसार पूर्वनी पीस atgāli b. (À ǹ gsana) aèaa gânâ-ya'd' a ung' zazu B. (से किं तं अणुओगे) अथ कोऽसौ अनुयोगः ? हे लहन्त ! अनुयोगनु ं स्व३५ वु छे? (उत्तर- अणुओगे दुबिहे पण्णत्ते) अनुयोगो द्विविधः प्रज्ञप्तःસૂત્રના પાતના વાગ્યાની સાથે જે સબંધ હોય છે તેને અનુગ કહે છે. તેના मे अार छे. (तं जहा) तद्यथा ते या प्रमाणे छे - ( मूलपढमाणुओगे य गंडियाणुओगे य) मूलप्रथमानुयोगच गण्डिकानुयोगश्च भूझ प्रथमानुयोग ने अनुयोग (से किं तं मूलपरमाणुओगे ?) अथ कोऽसौ मूलप्रथमानुयोग:ते भूतप्रथभानु योग व छे ? उत्तर- ( एत्थणं) अन्न खलु - मा भूतप्रथमानुयोगभां (अरहंताणं भगवंताणं) तां भगवताम् - अहुत लगवानाना (पुव्वभवा) पूर्व०४-भो, (देवलोकगमाणाणि) देवलोकगमनानि देवो अमन, (आउं) आयु: मायुष्य, (चवणाणि) च्यवनानि देवो भांथी न्यवन, (जम्माणाणि) जन्मानि ०४न्म, (अभिसेया) ગ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર ૩૫૨
SR No.006414
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages514
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size20 MB
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