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ख्यानानि-मा२पाणीना, प्रत्याश्यान, (पाओवगमणाई)पादपोपगमनानि-पा।
मान, २, (अणुत्तरोववाओ) अनुत्तरोपपात:-मनुत्तर विभानमा म (सुकुलपच्चायाया) सुकुलप्रत्यायातानि-त्यांथी 24वीने उत्तम पुगोभी म. (पुणो बोहिलाभा) पुनर्वाधिलाभाः-Nथी मyिala frसननी प्राप्ति, (अंतकिरियाओ) अन्तक्रियाश्च भाक्षनी प्राप्ति, मे मा विषयानु वएन यु छ, (अणुत्तरोववाइयदसामु णं) अणुत्तरोपपातिकदशासु खलु-सामनुत्त५पाति ६in सूत्रमा (पामंगल्लजगहियाणि) परमाङ्गल्यजगद्धितानी-ती ।ना सो. कृष्ट में 11४।२ तथा ने. भाट तिरी (तित्थकरसमोसरणाई) ती २ समवसरणानि-समवस२017 (बहुविसेसा) बहुविशेषाः-तमना ३४ यात्रीस farनतिशेषानु--मतिशयोनु ( देहं विमलसुगधं) देहो विमलसुगन्धः-- लगवाननु शश२ नि २ सुगन्धित अन्य छ, ( जिणातिसेसा य ) जिनातिशेषाश्च--mai यात्रीस अतिशयोनु, ( जिणसीसाणं चेव ) जिनशिष्याणां चैव-नवना शिष्यानु', (समणगणपवरगंधहत्थीणं) श्रमण गणप्रवरगन्धहस्तिनां-भाना समूहना श्रे साथीना समान, (थिरजसाणं) स्थिरयशसां-मवियण तिवाणा मन स्थि२ सयभार (परीसहसेण्णरिउबल
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
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