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________________ २१५७२८५ ४२वाथी उत्पन्न थयेस भनिनताथी २हित ',(सत्तरसविहोयसंजमो) सप्तदशविधश्च संयमः-पृथ्वीजय मा सत्तर प्रा२ने। संयम,(उत्तमंच बंभ) उत्तमं च ब्रह्म भैथुन पिरति ३५ ब्रह्मय, (अकिंचणता) यिनता, (तवो) त५, (चियाओ) त्यागः-माजमारत विधि अनुसार भुनियाने माडा२ ५. सावीने हेवां, (समिइगुत्तीओचेय) समिति गुप्तयश्चैव-पांय समितिये। भने ४९५ शुस्तियो, (अप्पमायजोगो) अप्रमादयोग:--मप्रभ योग, (सज्झायज्झाणाण य उत्तमाणं दोहंपि) स्वाध्यायध्यानयोश्च उत्तमोईयोरपि--उत्तम स्वाध्याय माने यान, से मन्नेना (लक्खणाई) लक्षणाणि-क्षणे। ये मया विषयोन ४थन 24॥ मा २रायु छ. तथा (संजमुत्तमं पत्ताणं) संयोमोत्तम प्राप्तानां-सर्व विरति मा६ि३५ उत्तम सयभने प्राप्त ४२नारा, जियपरीसहाणं जितपरीषहाणाम्-५५डाने तनारा, (मुणिहिं) मुनीनां-मुनियोने (चउविहकम्मक्खयम्मि) चतुर्विधकर्मक्षय:-धातियाभाना क्षय थतi (जहकेवस्स लभो) यथा केवलस्य लाभः-वी रीते ज्ञाननी प्राप्ति थाय छ (जत्तिओ य परियाओ) यावान् पर्यायः-८i qष सुधा दीक्षापर्याय पाजी (जहपालिओ) यथा पालितः-२ शते तेमणे तेनु पान ४यु, (जो जहिंपाओवगओ) यः यत्र पादपोपगमश्च-तथा भुनियां पायोपशमन संथाराने धा२९१ शने શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર 3०८
SR No.006414
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages514
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size20 MB
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