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अनु. विषय
पाना नं.
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१६ भगवानने पापोठा तीन शतीन योगसे परित्याग
ज्यिा । १७ नवभी गाथाछा सवतरा, गाथा और छाया । १८ भगवान् ग्राम और नगर में प्रवेश र गभघोष और
उत्पाहनाघोष रहित शुद्ध आहारछो ग्रासैषाघोषठा
परिवर्थन उरते हमे ग्रह उरते थे। १८ हसवीं गाथाहा भवता, गाथा और छाया । २० भगवान् औवे और उसूतर माहि पक्षियोंठो पृथ्वी पर
आहार निमित्त स्थित हेम र उन्हें बाधा नहीं हो, घस प्रहारसे भार्ग मेध मोरसे धीरे धीरे यसते हमे माहारठी
गवेषागा उरते थे। २१ ग्यारहवीं और बारहवीं गाथाष्ठा अवतरा, गाथा और
छाया। २२ प्रामाशों या शाज्याहि श्रभाशों या अन्य भावोंछी वृत्तिछेह
नहीं हो; छस प्रठारसे आहारठा अन्वेषाा रते थे। २३ तेरहवीं गाथाछा सवतरा, गाथा और छाया। २४ भगवानछो निर्दोष आहार सा-सा सन्त प्रान्त भी भिसता था उसीठो ले हर संयभमें स्थित रहते थे, और यदि
नहां मिलता था तो वे डिसीठी निन्छा नहीं डरते थे। २५ यौहवीं गाथाछा सवतरा, गाथा और छाया। २६ छुटुलाहि आसनस्थित भगवान् निर्विकार हो र ध्यान
रते थे। २७ पन्द्रहवीं गाथाठा अवता, गाथा ओर छाया । २८ भगवान् उषाय और गृद्धि और भभत्वरहित हो र ध्यान
घ्याते थे । भगवान्ने छलस्थावस्थामें भी उभी प्रभाह नहिं
ध्यिा । २८ सोलहवीं गाथाठा अवतरा, गाथा और ाया। ३० भायारहित भगवान् स्वयभेवसंसारठा स्व३ध मनहर स्वयं
संसुद्ध हो तीर्थप्रवर्तन डे लिये उधत हुमे । भगवान् धर्मो डे क्षयोपशभ, उधशभ और क्षय से समुभूत आत्मशोधि द्वारा भनोवामुठाययोग छो स्थिर रज र, उषायाग्नि है प्रशमन से शीतीभूत होटर यावश्लीव पाँय समिति और तीन
गुप्ति से युघ्त रहे। શ્રી આચારાંગ સૂત્રઃ ૩
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