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________________ अनु. विषय ॥ अथ अष्टभ उद्देश ॥ १ अष्टभ हैशडा सप्तम उराडे साथ सम्जन्धप्रतिपाहन, प्रथम गाथा और उसकी छाया । २ युद्धिमान् धीर मुनि प्रमशः लतपरिज्ञा, छंगितभा और पाहयोपगमन३प विभोहो प्राप्त डर, उस लड़त परिज्ञानाहिङ डे सोयित्य अनौयित्यो विचार र समाधिा परिचालन डरे । 3 द्वितीय गाथाडा अवतरा, द्वितीय गाथा और छाया । ४ मुनि जाह्य और आल्यन्तर तथा सेवन डर, शरीर अशक्त हो भने पर लडतप्रत्याज्यान जाहिमें से डिसी जेो स्वीकार र साहाराहिडी गवेषशा से निवृत हो भता है । पाना नं. 4 तृतीय गाथाडा अवतरा, तृतीय गाथा और छाया । ६ वह भिक्षु अल्पाहारी होता है, प्रषायाहिो डुश रहे दूसरोंडे हुर्वयनों को सह लेता है । यहि उस भिक्षुझे आहार न मिले तो वह सहारा परित्याग डर हेता है । ७ यतुर्थ गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ८ संजना डरनेवाले मुनिो भवन - भराडी अभिलाषासे रहित होना चाहिये । શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩ ← पांयवी गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १० संतेजनाकारी मुनि निर्भराडी अपेक्षा रजता हुआ मध्यस्थ हो र समाधिडी परिपालना डरे, और प्रषाय जेवं शारीरि5 उपशो छोड र अन्तः शुद्ध उरे । ११ छठी गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १२ अपनी आयुडे उपभो भन पर मुनि संलेजना डाल जीयमें ही लत प्रत्याज्यान डरे । १३ सातवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १४ भुनि ग्राम अथवा जरएयमें प्राविर्भित स्थऽिST प्रतिलेजन डर वहां पर हर्ला संथारा जिछाये । १५ आठवीं गाथाङा अवतरा, गाथा और छाया । २७४ २७४ ૭પ २७५ २७५ २७६ २७६ २७७ २७७ २७७ २७७ २७८ २७८ २७८ २७८ ૩૫
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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