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अनु. विषय
आहार हो अल्थ डर डे और प्रषायों प्रो डृश पर अपनी आत्मा प्रो समाहित डरते हुये, और संसारभनित दुर्भ क्षपा डरने की भावना रजते हुने छंगित भएा डरे । ← प्रश्र्चम सूत्र डा अवतरएा, प्रश्यम सूत्र और छाया । १० ग्राभाहि डिसी स्थान में भडर साधु तृएा डी यायना डरे, तृएा लेडर डान्त स्थानमें भयँ । वहाँ Sल्पनीय भूमि डी प्रतितेजना प्रभार्थना पर प्रे वहां पर तृएाप्रा संथारा डरें और झिर छंगित भरा से शरीर त्याग उरे । जेसा मुनि सत्यवाही, रागद्वेषरहित, ती, घ्ढ, भवाभवाहिपार्थज्ञ और अपारसंसार डा पारगामी होता है । वह मुनि स गितमा सत्य समर जनेऽविध परीषहोपसर्गों डोसह डर, स भिनशासन में विस्वस्त हो प्रातर ४नों असाध्य साधुओंोंडे आयार डा जायरा डरता है । व्यधिनिमित्त गित भरा डरने वाले साधु का वह भरा पण्डित भरा ही है, यावत् वह जानुगाभि है । हैश सभाप्ति ।
॥ छति षष्ठ उद्देश संधू ॥
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શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩
॥ अथ सप्तम उद्देश ॥
१ सप्तम उशा षष्ठ उराडे साथ सम्जन्धप्रतिपाहन, प्रथम सूत्रा अवतरा, प्रथम सूत्र और छाया । २ भे प्रतिभाधारी साधु वस्त्ररहित हो डर संयम में तत्पर रहता है उस मुनि यितमें यह भावना होती है कि मैं तृएास्पर्श, शीतस्पर्श, उष्ास्पर्श और हंशमशऽस्पर्श सह सड़ता हूं, और भी विविध स्पर्शो हो सह सड़ता हूँ; परन्तु लो नहीं छोड सङता हूं । जेसे साधु प्रटिजन्धन धारा डरना SCचता है ।
पाना नं.
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