SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૨૨૪ ૨૨૫ ૨૨પ ૨૨૬ ૨૨૬ ૨૨૭ ૨૨૭ ૨૨૮ ८ ज्ञानी पु३ष यारित्र में उसी भी प्रभाह न रे, पिनघवयनोऽत आहारभात्रा से शरीर-यापन छरे । ८ प्रश्चभ सूचठा अवतरा और प्रश्वभ सूत्र। १० मुनि उत्तभ, माध्यम सेवं अधभ छन सभी ३चों में वैराग्युत होवे। ११ छठे सूत्रछा सवतरा और छठा सूत्र । १२ पो भुनि शवों डी गति और मागति छोप्न उर रागद्वेषसे रहित हो जाता है, वह सभस्त अवलोऽमें छहन, भेन, हन और हनन-न्याओं से रहित हो जाता है। १३ सातवें सूचठा अवता और सातवां सूत्र । १४ भिथ्यादृष्टि व भूतहास और भविष्यकाल सम्मन्धी अवस्थामों को नहीं मानते हैं। उन्हें यह नहीं ज्ञात होता ठि घसा भूतहास सा था और भविष्यलालसा होगा ?, छोछ २ भिथ्यादृष्टि तो मेसा हते हैं ठिसा उस व जामतीतजास था वैसा ही भविष्यात होगा। १५ आठवें सूत्रमा अवतरश और माठवां सूत्र। १६ तत्त्वज्ञानी व अतीतठालि और भविष्यत्छालिष्ठ पार्थो डा चिन्तन नहीं डरते, वे तो वर्तभानहाल डे पर ही सावधानता से दृष्टि रजते हैं। इसलिये मुनि विशुद्धायारी या अतीतानागत छालझे संघ से रहित हो र, निरतियार संयभष्ठी आराधना र पूर्वोपार्थित सहल उर्मोठा क्षपारे। १७ नवम सूत्र छा अवता और नवम सूत्र । १८ सरति और आनन्छी असारता हा विचार उर, उनछे विषय में वियलित न होता हुआ ध्यान भार्ग में वियर उरे, तथा सभी प्रष्ठार हास्यों जा परित्याग र अलीनगुप्त होते हुने संयभानुष्ठान में तत्पर रहे। १८ दृशभ सूत्रठा अवता और शभ सूत्र । २० पुष अपना भित्र अपने ही है । माहरमें भित्र जोना व्यर्थ है। २१ ग्यारहवें सूत्रछा अवतररा और ग्यारहवां सूत्र । २२ पुष हर्मो दूर उरनेठी छरछावाला है वह धर्मो छोटूर रनेवाला है और को धर्मो छोटूर उरनेवाला है वह धर्मो डे टूर उरने डी छरछावाला है। ૨૨૮ ૨૨૯ ૨૨૯ ૨૩૧ ૨૩૧ ર૩ર ૨૩૨ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ૨ ૧૬
SR No.006402
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy