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________________ दीपिका-नियुक्ति टीका अ. ७ सू.५ दशबिध श्रमणधर्मनिरूपणम् १३३ तस्वार्थदीपिका-दशविधः खलु मूलोत्तागुणयोगात् प्रकृष्टः श्रमणधर्मोऽ. नगारधर्मों वर्तते, क्षान्ति-मुक्या-जय-मादव-लाघर-सत्य-संयम-तप स्त्याग ब्रह्मचर्यवासभेदात् । तत्र-शरीरस्थिति निर्वाहायाऽऽहारादि याचनार्थ परगृह मुपगच्छनः श्रमण दुष्टजनाऽऽकोश-प्रहसनाऽपमान-ताडनादि सत्वेऽपि तत्सहनम्, काष्योत्पादाभावः क्षान्तिः व्यपदिश्यते १ ममत्वबुद्धिराहित्यमुक्तिः, उपात्तेष्वपि शरीरादिषु संस्काराऽऽसक्तिनिरासाय 'ममेदम्' इत्येवं ममत्वबुद्धि निवृत्ति रूपा-इतियावर २ मृदुस्वभावः कागादियोगस्याऽकुटिलता आर्जव (४) मार्दव (५) लाघव (६) सत्य (७) संयम (८) तप (९) त्याग और (१०) ब्रह्मचर्य ॥५॥ तत्त्वार्थदीपिका-मूल-उत्तर गुणों के योग से श्रमणधर्म दस प्रकार का है-(१) क्षान्ति (२) मुक्ति (३) आर्जव (४) मार्दव (५) लाधव (६) सत्य (७) संयम (८) तप (९) त्याग और (१०) ब्रह्मचर्य । इनका स्वरूप निम्न प्रकार है (१) क्षमा-शरीरयात्रा का निर्वाह करने के लिए आहार आदि की याचना करने के लिए पराये घर जाने वाले साधु को दुष्ट जनों का आक्रोश (डाट-डपट , प्रहसन (उपहास), अपमान, ताडन आदि होने पर भी उसे सहन कर लेना और चित्त में कलुषता उत्पन्न न होने देना क्षमा धर्म है। ___ (२) मुक्ति-ममत्वभाव न हो मुक्ति है। अर्थात् प्राप्त अथवा गृहीत शरीर आदि के प्रति आपक्ति को दूर करने के लिए 'ममेदम (5) भाई ५ (५) ६५। (९) सत्य (७) संयम (८) त५ () त्या अने (१०) ब्रह्मयः ॥५॥ તત્વાર્થદીપિકા-મુળ-ઉત્તર ગુન એગથી શ્રમણધર્મ દશ પ્રકારને छे-(१) क्षान्ति (२) भुडित (3) मा (४) मा १ (५) १ (6) सत्य (७) सयम (८) त५ () त्यास मने (१०) प्रझयय समनु २१३५ नीय મુજબ છે (૧) ક્ષમા શરીર યાત્રાના નિર્વાહ માટે ભેજન વગેરેની યાચના કરવા માટે પારકા ઘરે જનારા સાધુને દુટ જનેને આક્રોશ (ધાક-ધમકી) પ્રહસન, (મશ્કરી) અપમાન તાડન આદિ થવા છતાં પણ તેને સહન કરી લેવું અને ચિત્તમાં કલુપતા ઉત્પન ન થવા દેવી ક્ષમાધર્મ છે. (૨) મુક્તિ-મમત્વભાવ ન હૈ મુક્તિ છે. અર્થાત્ પ્રાપ્ત અથવા गीत AN२ माहित२३नी भासहितने २ ४२वाने भाटे-ममेवम्-मा मा શ્રી તત્વાર્થ સૂત્રઃ ૨
SR No.006386
Book TitleTattvartha Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages894
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size49 MB
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