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________________ तत्वार्थ सूत्रे मूलम् - समिइओ पंच, ईरिया - भासा - एसणा- आयाणनिक्खेवणा परिवणिया भेयओ ॥ ३ ॥ छाया - 'समितयः पञ्च, ई- माषैषणाऽऽदाननिक्षेपण। परिष्ठापनिका भेदतः ३। ११६ तत्वार्थदीपिका - पूर्वसूत्रे तावद - आसा निरोधलक्षण संवरस्य हेतुरूपाणि समिति-गुप्ति-धर्मानुप्रेक्षा- परीषहजय-चारित्रतांसि प्रोक्तानि, सम्पति - तत्र प्रथमोपात्तायाः समितेः स्वरूपं प्ररूपयितुमाह 'समिईओ पंच, ईरिया मासा एसणा आयाणनिक्खेवणा- परिद्वावणिया भेयओ' इति, समितयः - माणिपीडापरिहारार्थं सम्यगयनरूपाः पश्च भवन्ति, ईर्ष्या - १ भाषा - २ एषणा - ३ आदाननिक्षेण-४ परिष्ठापनिका - ५ चेत्येताः पञ्च समितयो ज्ञाततस्य श्रवणस्य प्राणिपीडापरिहाराऽभ्युपाया अगन्तव्याः पुरतो जीवरक्षार्थ युग्यमात्रभूमार्ग निरीक्षण गमनम् ईर्या समितिः- १ सावधपरिहार 'समिईओ पंच ईरिया' इत्यादि । सूत्रार्थ - ईर्मा, भाषा, एषणा, आदाननिक्षेपण और परिष्ठापनिका के भेद से समितियां पांच हैं ॥ ३॥ तत्वार्थदीपिका - पूर्वसूत्र में समिति, गुप्ति, अनुप्रेक्षा, परीषहजय, चारित्र और तप को आस्रवनिशेष रूप संचर का कारण कहा है। अब इन में सब प्रथम गिनाई समिति के स्वरूप का प्रतिपादन करने के लिए कहते हैं समितियां पांच हैं - (१) ईसिमिति (२) भाषासमिति (३) एषणा समिति (४) आदान निक्षेपणासमिति और ( ५ ) परिष्ठापनिकास मिति ये समितियां तत्त्व के ज्ञाता श्रमण के लिए प्राणियों की पीडा को 'समिइओ पंच ईरिया' त्याहि સૂત્રા—ઇર્યો. ભાષા એષણા નિક્ષેપણુ અને પરિષ્ઠાપનિકાના ભેદથી સમિતિએ પાંચ છે ગા तत्त्वार्थ ही पिडा- पूर्व सूत्रमां समिति गुप्ति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परीषडજ્ય ચારિત્ર અને તપને આસ્રવનિરોધરૂપ ‘સંવરના' કારણ કહ્યાં છે. હવે એ પૈકી પ્રથમ ગચાવેલી સમિતિના સ્વરૂપનું પ્રતિપાદન કરવા માટે કહીએ છીએ समिति। यांय छे - (१) र्यासमिति (२) भाषासमिति (3) भेषणाસમિતિ (૪) આદાન નિક્ષેપણાસમિતિ અને (૫) પરિષ્ઠાપનિકાસમિતિ આ સમિતિ તત્વના જ્ઞાતાશ્રમણ માટે પ્રાણિઓની પીડાને બચાવવા માટેના શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૨
SR No.006386
Book TitleTattvartha Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages894
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size49 MB
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