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________________ तत्त्वार्थसूत्रे लक्षयोजनप्रमाणा वर्तते शर्कराप्रभा—द्वात्रिंशत्सहस्राधिकलक्षयोजनप्रमाणा, वालुकाप्रभा-चाऽष्टविंशतिसहस्राधिकलक्षयोजनप्रमाणा धूमप्रभा अष्टादशसहस्राधिकलक्षयोजनप्रमाणाः तमःप्रभा खलु षोडशसहस्राधिकलक्षयोजनप्रमाणाः तमस्तमःप्रभाचा-ऽ-ष्टसहस्राऽधिकलक्षयोजनप्रमाणावाहल्येन वर्तते इति ॥ सूत्र-११ ॥ मूलसूत्रम्-नरगा तेसुं जहा कम तीसा--पन्नवीसा-पण्णरसदस--तिण्णि पंचणसयसहस्सं पंच य ॥ सू० १२ ॥ छाया-नरकास्तासु यथाक्रम त्रिंशत् पञ्चविंशतिः पञ्चदश-दश-त्रोणि-पश्चोनशत सहस्रं पञ्च च ॥ सूत्र-१२ ।। तत्वार्थदीपिका --पूर्वसूत्रे-रत्नप्रभादि सप्तनारकभूमयःप्ररूपिताः सम्प्रति–तासु प्रत्येक क्रमशो नरकावासानां संख्यामाह-"नरगा तेसुं" इत्यादि नरकाः-नरकावासाः तासु-रत्नप्रभादि सप्तपृथिवीषु यथाक्रमं क्रमशः, त्रिंशत् शतसहस्राणि, पञ्चविंशति सहस्राणि, पञ्चदशशतसहस्राणि दशशतसहस्राणि, त्रीणि शतसहस्राणि पञ्चोनशतसहस्रम् पञ्च च सन्ति तत्र-रत्नप्रभायां त्रिंशल्लक्षाणि नरकावासाः, शर्कराप्रभायां पञ्चविंशतिलक्षाणि नरकावासाः, वालुकाप्रभायां पञ्चदशलक्षाणि नरकावासाः पङ्कप्रभायां दशलक्षाणि नरकावासाः, धूमप्रभायां-त्रिलक्षाणि नरकावासाः । तमःप्रभायां पञ्चन्यूनैकलक्षं नारकावासाः तमस्तमप्रभायां पृथिव्यां च पञ्च नरकावासा सन्ती तिभावः ॥सू० १२॥ मोंटी है(१,८००००) इसीप्रकार शर्करा प्रभा पृथिवी की मोटाई एक लाख बत्तीस हजार योजन की है (१,३२०००)२। वालुकाप्रभा पृथिवी की मोटाई एकलाख अट्ठाईस हजार योजन की है (१,२८०००) ३ । पंकप्रभा की मोटाई एक लाख बीस हजार योजन की है (१,२००००) ४ । धूमप्रभा की मोटाई एक लाख अठारह हजार योजन को है (१,१८०००) ५. तमः प्रभा पृथिवी की मोटाई एक लाख सोलह हजार योजनकी है (१,१६०००) ६ । तमस्तमः प्रभा पृथिवी की मोटाई एक लाख आठ हजार योजन की है (१,०८०००) ७। सू. ११॥ सूत्रार्थ--'नरगा तेसुं जहा' इत्यादि ॥ सू. १२ ॥ रत्न प्रभा आदि पृथ्वियों में यथाक्रम तीस लाख, पच्चीस लाख, पन्द्रह लाख, दस लाख तीन लाख, पाँच कम एक लाख और सिर्फ पाँच नरकावास हैं । सू. १२ । तत्त्वार्थदीपिका--पूर्व सूत्र में रत्नप्रभा आदि सात नरकभूमियों की प्ररूपणा की गई, अब उनमें से प्रत्येक में नारकावासों की संख्या का प्ररूपण करते है नरक का तात्पर्य यहाँ नारकावास अर्थात् नारक जीवों के रहने के स्थान समझना चाहिये । पूर्वोक्त भूमियों में उनकी संख्या इस प्रकार है-१) रत्न प्रभा पृथ्वी में तीस लाख (२) शर्करा प्रभा में पच्चीस लाख (३) वालु का प्रभामें पन्द्रह लाख (४) पंकप्रभा में दस लाख (५) धूमप्रभा में तीन लाख (६) तमःप्रभा में पाँच कम एक लाख और (७) तमस्तमःप्रभा में केवल पांच नारकावास है । सूत्र-॥१२॥ શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧
SR No.006385
Book TitleTattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1032
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size60 MB
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