________________
तत्त्वार्थ सूत्रे
तत्र - सौधर्म शक्रः, ईशाने - ईशानः, तन्नामा इन्द्रः । आनत - प्राणतयोः प्राणतः आरणाच्युतयोर च्युतः ||सूत्र ||२५|
तत्वार्थनिर्युक्तिः - पूर्वोक्तेषु चतुर्विधेषु भवनपतिवानव्यन्तरज्योतिष्कवैमानिकदेवेषु कुत्र तावद् एकैकइन्द्रः - ३ कुत्रवा - द्वौ द्वाविन्द्रौ स्तः- १ इतिप्ररूपयितुं प्रथमं भवनपतिवानव्यन्तराणां देवानां प्रत्येकं द्वौ द्वाविन्द्रौ भवतः ज्योतिष्काणां वैमानिकानामेकैकइन्द्र इतिप्ररूपयितुमाह ' 'भवणबइवानमंतराणं पाडिएक्कं वे इंदा, । जोइसियाणं दो वमाणियाणं एगेगे -" इति। भवन पतिवानव्यन्तराणाम् - असुरकुमारादिदशविधभवनवासिनां किन्नरादि - अष्टविधवानव्यन्तराणाञ्च प्रत्येकं द्वौ द्वाविन्द्रौ भवतः । तत्र - भवनवासिष्वसुरकुमाराणां चमरो बलीवेत्येवं द्वाविन्द्रौ स्तः, नागकुमाराणांधरणो भूतानन्दश्च ।
५२८
विद्युत्कुमाराणां हरिर्हरिसहश्च । सुपर्णकुमाराणां वेणुदेवौ वेणुदाली च, अग्निकुमाराणाम् अग्निशिखो-ऽग्निमाणवश्च वायुकुमाराणां वेलम्बः प्रभश्च द्वीपकुमाराणां पूर्णो वशिष्ठश्च, दिक्कुमाराणाञ्चा - ऽमितगतिः - अमितवाहनश्चेति ।
वानव्यन्तरेष्वपि - किन्नराणां किन्नर : - किम्पुरुषश्चेत्येवं द्वाविन्द्रौ, किम्पुरुषाणां सत्पुरुषो महापुरुषश्च महोरगाणाम् अतिकायो महाकायश्च गन्धर्वाणां गीतरति गतयशश्च यक्षाणां ईशान कल्प में ईशान इन्द्र है; ( यावत) आनत - प्राणत में प्राणत इन्द्र है, आरण-आच्युत कल्पों में अच्युत नामक इन्द्र है ||२५||
तत्त्वार्थनियुक्ति – भवनवासी, वानव्यत्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक, इन पूर्वोक्त चार प्रकार के देवों में से किनके एस - एक इन्द्र है । और किनके दो-दो इन्द्र हैं । यह प्रतिपादन करने के लिए कहते हैं कि भवनवासी और वानव्यन्तरों में प्रत्येक जाति के दो-दो इन्द्र होते हैं, ज्योतिष्कों में जातिवाचक दो ही इन्द्र हैं और वैमानिकों में प्रत्येक कल्प में एकएक इन्द्र है-
असुरकुमार आदि दस प्रकार के भवनवासियों में दो-दो इन्द्र हैं, किन्नर आदि आठ प्रकार के वानव्यन्तरों में भी दो-दो इन्द्र हैं ।
असुरकुमारों में चमर और बलि नामक दो इन्द्र हैं । नागकुमारों में धरण और भूतानन्द नामक दो इन्द्र हैं । विद्युत्कुमारों में हरि और हरिसह, सुपर्णकुमारों में वेणुदेव और वेणुदाली, अग्निकुमारों में अग्निशिख और अग्निमाणव, वायुकुमारों में वेलम्ब और प्रभंजन, द्वीपकुमारों में पूर्ण और विशिष्ट, उदधिकुमारों में जलकान्त और जलप्रभ, दिक्कुमारों में अमितगति और अमितवाहन नामक इन्द्र हैं । स्तनितकुमारों में घोष और महाघोष नामक दो इन्द्र हैं । वानव्यन्तरों में किन्नरों में किन्नर और किम्पुरुष, किम्पुरुषों में सत्पुरुष और महापुरुष, महोरगों में अतिकाय और महाकाय, गन्धर्वों में गीतरति और गीतयश, यक्षों में पूर्ण
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૧