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________________ श्रीकल्प सत्रे मञ्जरी टीका ॥१९॥ दृष्टान्तद्वयेन भगवतो महावीरस्य तीर्थस्थितानां जीवानां वक्रता जडता च स्फुटा प्रतीयते इति । शेषाणां मध्यवर्तिनां द्वाविंशतिजिनानां तीर्थेषु स्थितानां साधूनाम् ऋजुपाज्ञत्वात् स्थितकल्पो भवति । अत्रेद बोध्यम्-मध्यमतीर्थकृतीर्थवर्तिनां साधूनां महाविदेहक्षेत्रस्थितानां साधूनां च शय्यातरपिण्ड-कृतिकर्म-महाव्रत-पर्यायज्येष्ट-विषये स्थितः कल्पः । शेषेषु षट्स्वनवस्थितकल्पः, तेषां सतता सेवनाभावात् । तत्र ऋजुपाज्ञदृष्टान्तो यथाभगवतः श्रीमतोऽजितनाथस्य शासने तत्साधुरेकस्मिन् दिवसे आवश्यककार्यवशाद् बहिर्गतः प्रत्यावृत्तो दोष है? आपको जो कष्ट हुआ, वास्तव में उसके लिए आपही दोषी हैं। इन दो उदाहरणों से भगवान् महावीर के तीर्थ के जीवों की वक्रता और जडता स्पष्ट प्रतीत होती है। प्रथम और चरम तीर्थंकरों के सिवाय बीच के बाईस तीर्थकरों के शासन के साधु ऋजुपाज्ञ (सरल और समझदार) होते हैं, अतः उनका कल्प अस्थित होता है। अभिपाय यह है कि मध्य के तीर्थकरों के शासन के साधुओं का और महाविदेहक्षेत्र स्थित साधुओंका शय्यातरपिण्ड, कृतिकर्म, महाव्रत और पर्यायज्येष्ठता के विषय में स्थितकल्प होता है और शेष छ विषयों में अस्थित अर्थात् अव्यवस्थित कल्प होता है; क्यों कि वे शेष छह कल्पों का नित्य सेवन नहीं करते हैं। ऋजुप्राज्ञ का उदाहरण भगवान श्री अजितनाथ के शासन का कोई साधु आवश्यककार्य से एक दिन बाहर गया । पीछे ॥१९॥ પહેલાં અને છેલ્લાં તીર્થંકર સિવાય વચલા તીર્થંકરના વારામાં એટલે બાવીશ તીર્થંકરના શાસન તલેના સાધુઓ “જુપ્રાસ' ( સરલ અને સમજણવાલા ) ગણાતાં, તેમનું ક૯૫ અસ્થિત હતું, મધ્યતીર્થકરના શાસન હેઠળના સાધુઓ અને મહાવિદેહક્ષેત્રમાં રહેતા સાધુઓના આચાર બાબતેમાં, જેવાં કે શય્યાતરપિંડ (૧), इति (२), महावत, (3) पर्यायन्येष्ठ, (४), मामां स्थित हाय छ, माडीना ७ विषयोमा मस्थितક૯પ હોય છે, કારણ કે બાકીના છ બાબતેનું સેવન હમેશ હોતું નથી. *नुप्राशनु'दृष्टान्तભગવાન અજીતનાથના સમયના કોઈ એક સાધુ રસ્તે જતા “નટ” નું ખેલ જોઈ મોડેથી ઉપાશ્રયમાં શ્રી કલ્પ સૂત્ર: ૦૧
SR No.006381
Book TitleKalpsutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages596
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size41 MB
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