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________________ ५३० नन्दीसूत्रे उत्कालिक श्रुतमनेकविधं प्रज्ञप्तम् । तद् यथा-' दशवकालिकम्' इत्यादि । तत्र दशवैकालिकं सुप्रसिद्धम् ? । तथा-कल्पिकाकल्पिकम्-कल्पाकल्पप्रतिपादक सूत्रमित्यर्थः २ । तथा-चुल्लकल्पश्रुतं ३, महाकल्पश्रुतमिति । कल्पः-स्थविरादिकल्पः । तत्पतिपादकं श्रुतं-कल्पश्रुतम् । तच्च द्विविधं-चुल्लकल्पश्रुतं महाकल्पश्रुतमिति । ___ उत्तर-उत्कालिकश्रुत अनेक प्रकार का कहा गया है, जैसे-दशवैकालिक १, कल्पिकाकल्पिक-कल्पाकल्पप्रतिपादकसूत्र २, चुल्लकल्पश्रुत ३, महाकल्पश्रुत ४, औपपातिक ५, राजप्रश्नीय ६, जीवाभिगम ७, प्रज्ञापना ८, महाप्रज्ञापना ९, प्रमादाप्रमाद १०, नंदि ११, अनुयोगद्वार १२, देवेन्द्रस्तव १३, तन्दुल वैचारिक १४, चन्द्रकवेध्य १५, सूर्यप्रज्ञप्ति १६, पौरुषीमण्डल १७, मण्डलप्रवेश १८, विद्याचरणविनिश्चय १९, गणि. विद्या २०, ध्यानविभक्तिः २१, मरणविभक्ति २२, आत्मविशोधि २३, वीतरागश्रुत २४, संखेलनाश्रुत २५, विहारकल्प २६, चरणविधि २७, आतुरप्रत्याख्यान २८, महाप्रत्याख्यान २९, इत्यादि, ये समस्त श्रुत उत्कालिक हैं। ___ इनमें दशवैकालिक प्रसिद्ध है १ । कल्पाकल्प का प्रतिपादकश्रुत कल्पिकाकल्पिक है २ । स्थविर आदि के कल्प का प्रतिपादक जो श्रुत है वह कल्पसूत्र है। यह चुल्लकल्पश्रुत तथा महाकल्पश्रुत के भेद से दो प्रकार का बतलाया गया है । जो श्रुत, ग्रंथ एवं अर्थ की अपेक्षा अल्प उत्तर-3लिश्रुत भने ४२नां डेस छ, i3 (१) शालि, (२) दि५४॥ ४५-४६५८५ प्रति६४ सूत्र, (3) युEa४६५श्रुत, (४) भड़ा४६५ श्रुत, (५) भोपाति, (६) राप्रश्नीय, (७) निगम, (८) प्रज्ञापना, (e) माशापना, (१०) प्रभाइप्रभाह, (११) नही, (१२) अनुयार, (१३) हेवेन्द्रस्तव, (१४) तन्डस या२ि४, (१५) यन्द्र वेश्य, (१६) सूर्य प्रशति, (१७) पौरुषी भस, (१८) में प्रवेश, (१८) विद्याय२९५ विनिश्चय, (२०) गणिविधा, (२१) ध्यानविमति, (२२) भ२६ विमति, (२३) यात्मविधि , (२४) वात२११ श्रुत, (२५) संदेमना श्रुत, (२६) विहार ४६५, (૨૭) ચરણવિધિ, (૨૮) આતુર પ્રત્યાખ્યાન. મહાપ્રત્યાખ્યાન ઇત્યાદિ આ સઘળા ઉત્કાલિક શ્રત છે. તેઓમાં દશવૈકાલિક પ્રસિદ્ધ છે. ૧ કલ્પાકલ્પનું પ્રતિપાદક શ્રત કલ્પિકાકવિપક છે. ૨ સ્થવિર આદિના કલ્પનું પ્રતિપાદક જે શ્રત છે તે કલ્પસૂત્ર છે. તે ચુલકલ્પકૃત તથા મહાકલ્પથ્થત એ ભેદથી બે પ્રકારનું દર્શાવ્યું છે. જે શ્રુત શ્રી નન્દી સૂત્ર
SR No.006373
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size49 MB
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