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________________ १०३ प्रियदर्शिनी टीका अ० २६ रात्रिचर्याविधिः चतुर्थपौरुष्यां कथं स्वाध्यायः कर्तव्य इत्याहमूलम्--पोरिसीए चउत्थीए, कालं तु पडिलेहियो । सउँझायं तु तओ कुंजा, अबोहिंतो असंजए ॥४५॥ छाया-पौरुष्यां चतुर्थ्यां, कालं तु प्रतिलेख्य । ___ स्वाध्यायं तु ततः कुर्यात् , अबोधयन् असंयतान् ॥ ४५ ॥ टीका-'पोरिसीए' इत्यादि रात्रेश्चतुर्थ्यां पौरुष्यां तु-निश्चयेन मुनिः कालं वैरात्रिकं कालं प्रतिलेख्य ततः तदनन्तरम् असंयतान् अगारिणः, अबोधयन् अनुत्थापयन् तु स्वाध्यायं कुर्यात् । यथाऽगारिणां निद्राभङ्गो न भवेत्तथा मन्दमन्दस्वरेण स्वाध्यायं कुर्यादिति भावः ॥४५॥ प्रथम पौरुषीमें स्वाध्याय करे, (बीयं ज्झाणं झियायइ-द्वितीयां ध्यानं ध्यायेत) दूसरी पौरुषीमें ध्यान करे-(तइयाइं निद्दामोक्खं तु-तृतीयायां निद्रा मोक्ष तु) तीसरी पौरुषीमें निद्रा लेवे और (संज्झायं तु चउत्थीए-स्वाध्याय तु चतुर्थ्याम् ) चौथी पौरूषीमें फिर स्वाध्याय करे।। ४४ ॥ चतुर्थ पौरुषीमें स्वाध्याय कैसे करना चाहिये सो सूत्रकार कहते हैं'पोरिसीए' इत्यादि। अन्वयार्थ–रात्रिकी (चउत्थीए पोरसीए-चतुर्थ्यां पौरुष्याम् ) चतुर्थ पौरुषीमें मुनि (कालं पडिलेहिया-कालं प्रतिलेख्य ) वैरात्रिक कालकी प्रतिलेखना करके (असंजए अबोहितो-असंयतान्अबोधयन् ) गृहस्थजन जग न जावें इस रूपसे अर्थात् मंद २ स्वरसे (सज्जायं कुज्जास्वाध्यायं कुर्यात् ) स्वाध्याय करे ॥ ४६॥ पौ३पीमा स्वाध्याय ४२ बीयं ज्झाणं जीयायई-द्वितीयां ध्यानं ध्यायेत् भी पौर. षामा ध्यान रे, तइथाई निमोक्खं तु-तृतीयायां निद्रामोक्षं तु श्री पौ३५ीमा निद्रा से सने सज्जायं तु चउत्थीए-स्वाध्यायं तु चतुर्थ्याम् याथी पौ३षीमा शथी. स्वाध्याय ४२ ॥ ४४ ॥ ग्यौथी पौ३षीमा स्वाध्याय म ४२३। ते सूत्रा२४ छ-"पोरिसीए" प्रत्याहि । मन्वयार्थ -२॥त्रिनी चउत्थीए पोरसीए-चतुर्थी पौरुष्याम् यतुर्थ पौषिीमा भुनि कालं पडिलेहिया-कालं प्रतिलेख्य वैरात्रि आनी प्रतिमना रीन असंजए अबोहितो-असंयतान् अबोधयन् गृहस्थ०४ ansl न य १२ ३५थी अथातू महमा २१२थी स्वाध्याय ४२. ॥४५॥ उत्तराध्ययन सूत्र:४
SR No.006372
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1032
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size55 MB
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