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________________ ४७९ प्रियदर्शिनी टीका अ. १९ मृगापुत्रचरितवर्णनम् छाया--मानुषत्वे असारे, व्याधिरोगाणामालये । जरामरणग्रस्ते, क्षणमपि न रमेऽहम् ॥१४॥ टीका--'माणुसत्ते' इत्यादि। असारे सारवर्जिते व्याधिरोगाणाम्-व्याधयः कुष्ठशूलादयः, रोगाः= ज्वरादयस्तेषामालये-गृहे जरामरणग्रस्ते जरसा-वार्द्ध के न मरणेन-मृत्युना च ग्रस्ते-गृहितेऽस्मिन् मानुषत्वे-मनुष्यभवे क्षणमपि नाहं रमे मुखं न प्रामोमि ॥१४॥ इत्थं मनुष्यभवस्यानुभूयमानत्वेन निर्वेद हेतुत्वमभिधाय सम्पति चतुर्गतिकस्यापि संसारस्य निर्वेदहेतुत्वमाह-- मूलम्---जम्मं दुक्खं जरा दुखं, रोगी यं मरणाणि यं । अंहो दुखो हुँ संसारो, जत्थ की सति जंतुणो ॥१५॥ छाया--जन्म दुःखं जरा दुःखं, रोगाश्च मरणानि च । अहो दुःखो हु संसारो, यत्र क्लिश्यन्ति जन्तवः ।।१५।। इस प्रकार भोग निमंत्रणा के परिहार को कहकर अब समुप्य व को वैराग्य का कारण कहते हैं-माणुसत्ते' इत्यादि। अन्वयार्थ-(असारम्मि-असारे) कदली वृक्ष के समान निःसार तथा (वाहीरोगाणआलए-व्याधिरोगाणामालये) कुष्ठ, शूल आदि व्याधियों एवं ज्वर आदि रोगों के घररूप तथा (जरामरणवत्थम्भिजरामरणग्रस्ते) जरा एवं मरण से ग्रस्त हुए (माणुसत्ते-मानुष्यत्वे) इस मनुष्यभव में (खणेपि अहं न रमाम-क्षणम् अपि अहं न रमे) मुझे तो एक क्षण मात्र भी सुख नहीं दिखता है ॥ १४ ॥ इस प्रकार मनुष्यभव के अनुभव से मनुष्यत्व को वैराग्य का कारण कहकर अब संसार को वैराग्य का कारण कहते हैं- આ પ્રકારે ભોગ નિયંત્રણના પરિહાજને કહીને હવે મનુષ્યત્વના વૈરાગ્યના २शुने ४ छ-"माणुसते" त्या ! अन्वयार्थ - असारम्मि-असारे 30 वृक्षनो भा३४ निःसार तथा वाहीरोगाण आलए-व्यधिरोगाणामालिये ढ, शूण माहि व्याधियो भने १२ महि शाना घर३५ तथा जरामरणपत्थम्मि-जरामरणस्तेग्र ४२। सने भी प्रस्त भनेता माणुसत्ते-मानुषत्वे 24॥ मनुष्य सभा खणंपि अहं न रमाम-क्षणं अपि अहं न रमे भने तो क्षण मात्र ५९] सुभ मातु नथी. ॥ १४ ॥ આ પ્રકારે મનુષ્ય ભવના અનુભવથી મનુષ્યત્વના વૈરાગ્યનું કારણ કહીને હવે उत्त२॥ध्ययन सूत्र : 3
SR No.006371
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1051
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size58 MB
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