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उत्तराध्ययन सूत्रे
से रहित बन जाता है और (सिद्धे भवइ - सिद्धो भवति) वह सिद्ध हो जाता है । इस गाथा द्वारा सूत्रकार ने अहेतु परिहार का फल आदि से रहित हो कर आत्मा को सिद्धत्वरूप फल की प्राप्ति होना है । त्ति बेमि इति ब्रवीमि " इन पदों का अर्थ पहिले
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अध्ययनों में कहा जा चुका है ॥ ५४ ॥
॥ यह अठारहवें अध्यायन का हिन्दि अनुवाद संपूर्ण हुआ ||
जनी लय छे. मने सिद्धे भवइ - सिद्धो भवति अते ते सिद्ध मनी लय है. मा ગાથા દ્વારા સૂત્રકારે અહેતુ પરિહારનુ ફળ ક્રમ મળ આદિથી રહિત થઈને આત્માને सिद्धत्व३५ ३जनी प्राप्ति थवानुं मतावेल छे. त्ति बेमि - इति ब्रवीमि ॥ यहोना અથ આગળના અધ્યયનમાં કહેવાઇ ગયેલ છે. ! ૫૫ ॥
શ્રી ઉત્તરાધ્યન સૂત્રના અઢારમા અધ્યયનના આ ગુજરાતી ભાષા અનુવાદ સંપૂણુ થયા. ॥ ૧૮ ૫
उत्तराध्ययन सूत्र : 3