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विषय
पृष्ठा५७ बाईस परीषहों का नामनिर्देष २७२-२७५ ५८ परीपहों का स्वरूपवर्णन में क्षुधापरीषहजय
का वर्णन और दृढवीर्य मुनि का दृष्टान्त २७६-२८७ पिपासापरीषह का वर्णनमें पानभेद का वर्णन और धनमियमुनि दृष्टान्त
२८८-२९९ शीतपरीषह जय का वर्णन और उस विषयमें मुनिचतुष्टय का दृष्टान्त
३००-३०७ उष्णपरीषह जय का वर्णन और अरहन्नक मुनि का दृष्टान्त
३०८-३१७ ६२ दंशमशकपरीषह का वर्णन और उस विषयमें सुदर्शन मुनि का दृष्टान्त
३१८ -३२४ ६३ अचेलपरीषह जय का वर्णन ३२४-३३० ६४ स्थविरकल्पका वर्णन और उस विषयमें संलेखना,
पादपोपगमन, और संस्तारक विधि का वर्णन ३३१-३३८ ६५ जिनकल्पिका वर्णनमें पिण्डैषणा विधि जिनकल्पमर्यादा
३३९-३४७ ६६ स्थविरकल्प और जिनकल्पका दश प्रकार का वर्णन ३४७६७ आचैलक्य वर्णन और उस विषयमें सोमदेव मुनिका दृष्टान्त
३४८-३६८ ६८ अरतिपरीषह जयका वर्णन और उस विषयमें । अर्हदत्तमुनि का दृष्टान्त
३६९-३९० ६९ स्त्री परीषहजयका वर्णन और लावण्यमुनि का दृष्टान्त
३९१-४०४ ७० चर्यापरीषह जयका वर्णन
४०५-४१५ ७१ नैषधिकी, शय्या, आक्रोश परीषह वर्णन ४१६-४३६ ७२ वधपरीषह याचनापरीषह और अलाभपरीषह का वर्णन
४३७-४६२ ७३ रोगपरीषह, तृणपाश, जलपरीषहका वर्णन ४६३-४८४
ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૧