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________________ संपज्जणारिहे तस्स अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पइ से एगराइयाए पडिमाए जणं जण्णं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए । तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परो वएज्जा वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए, जं तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसइ से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥१२॥ आयरियउवज्झाए गिलायमाणे अन्नयर एज्जा अज्जो ! ममंसिण कालगयंसि समाणंसि अयं समुक्कसियब्वे, से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसणारिहे नो समुक्कसियव्वे, अत्थि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से समुक्कसियव्वे, नत्थि या इत्थ अन्ने समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्वे । तंसि च णं समुकिसि परो वएज्जा दुस्समुक्कि8 ते अज्जो ! निक्खिवाहि, तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छेए वा परिहारे वा, जे साहम्मिया अहाकप्पेणं नो अब्भुट्टाए विहरंति सव्वेसिं तेर्सि तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा ॥१३॥ आयरियउवज्झाए ओहायमाणे अन्नयरं वएज्जा अज्जो ! ममंसि णं ओहावियंसि समाणंसि अयं समुक्कसियव्वे, से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसिणारिहे नो समुक्कसियवे, अत्थि या इत्थ अण्णे केइ समुक्कसणारिहे से समुक्कसियव्वे, नस्थि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्वे, तंसि च णं समुकिलुसि परो वएज्जा दुस्समुकिटं ते अज्जो ! निविखवाहि, तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छए वा परिहारे वा, जे साहम्मिया अहाकप्पेणं नो अब्भुट्ठाए विहरंति सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा ॥१४॥ __ आयरियउवज्झाए सरमाणे परं चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ कप्पाए, अत्थि याई से केइ माणणिज्जे कप्पागे, णत्थि याइं से केइ छेए वा परिहारे वा, णत्थि याइं से केइ माणणिज्जे कप्पाए से संतरा छए वा परिहारे वा ॥१५॥ आयरियउवज्झाए असरमाणे परं चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ कप्पाए, अत्थि य इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए नत्थि से केई छेए वा परिहारे वा, नत्थि य इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥१६॥ आयरियउवज्झाए सरमाणे वा असरमाणे वा परं दसरायकप्पाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ कप्पाए, अत्थि य इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए नत्थि य इत्थ से केइ व्य. ३
SR No.006364
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages346
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size40 MB
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