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जे भिक्खू उग्याइयं सोच्चा णच्चा संभुंजइ संभुंजतं वा साइज्जइ ॥ २० ॥ जे भिक्खू उग्घाइयहेउं सोच्चा णच्चा संभुजइ संभुजंतं वा साइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू उग्घाइसंकप्पं सोच्चा णच्चा संभंजइ संभुंजत वा साइज्जइ ॥२२।।
जे भिक्खू उग्धाइयं उग्घाइयहेउं वा उग्याइयसंकल्पं वा सोच्चा णच्चा संभुजइ संभुंजतं वा साइज्जइ ॥२३॥ _ 'अणुग्घाइयं सोच्चा' ० ॥२४।। 'अणुग्घाइयहेउं सोच्चा'० ॥२५॥ 'अणुग्घाइयसंकप्पं सोच्चा'० ॥२६॥ 'अणुग्घाइयं-अणुग्याइयोउं अणुग्याइसंकप्पं सोच्चा'० ॥२७।। 'जे भिक्खू उग्घाइयं वा अणुग्धाइयं वा सोच्चा० ॥२८॥ 'उग्घाइयहेउं वा अणुग्धाइय हेर्ड वा सोच्चा० ॥२९॥ उग्घाइयसंकप्पं वा अणुग्याइयसंकप्पं वा सोच्चा० ॥३१॥ 'उग्धाहयं वा अणुग्घाइयं वा उग्घाइयहेउं वा अणुग्घाइयहेउं वा उग्याइयसंकप्पं वा अणुग्धाइयसंकप्पं वा सोच्चा० ॥३॥
जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणत्यमियमणसंकप्पे संथडिए णिचितिगिच्छासमावण्णेणं अप्पाणेणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता संभुंजइ संभुजतं वा साइज्जइ, अह पुण एवं जाणेज्जा अणुग्गए सरिए अत्थमिए वा से जं च मुहंसि वा जं च पाणिसि वा जच पडिग्गहंसि वा तं विगिचिय विसोहिय तं परिहावेमाणे णाइक्कमइ, जो तं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥ ३२ ॥
जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणत्थमियमणसंकप्पे संथडिए वितिगिच्छासमावणेणं अप्पाणेणं असणं वा ४ जाव जो तं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥ ३३ ॥
जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणथमियमणसंकप्पे असंथडिए निव्वितिगिच्छासमावन्नेणं अप्पाणेणं असणं वा ४ जाव जो तं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥३४॥
जे भिक्खू उग्गयवित्तिए अणथमियमणसंकप्पे असंथडिए वितिगिच्छासमावण्णेणं अप्पाणणं असणं वा ४ जाव जो तं भुंजइ भुंजंतं वा साईज्जइ ॥ ३५ ॥
जे भिक्खू राओ वा वियाले वा सपाणं सभोयणं उग्गालं आगच्छेज्जा तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा णाइक्कमइ तं उग्गिलित्ता पच्चोगिलमाणे राइभोयणपडिसेवणपत्ते, जो तं पच्चोगिलइ पच्चोगिलंत वा साइज्जइ ॥ ३६ ॥
जे भिक्खू गिलाणं सोच्चा णच्चा ण गवेसइ ण गवेतं वा साइज्जइ ॥३७॥
जे भिक्खू गिलाणं सोच्चा णच्चा उम्मग्गं वा पडिपहं वा गच्छइ गच्छंत वा साइज्जइ ॥ ३८॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર