________________
२९
जे भिक्खू रणो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा परस्स नीहडं पडिग्गाहेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ । तं जहा - खुज्जाणं जाव पारसीणं ॥३०॥
तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं ॥ ३१ ॥ ॥ निसीहज्झयणे नवमो उद्देसो समत्तो ॥ ९॥
॥ दशमोद्देशकः ॥
जे भिक्खू भदंतं आगाढं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥ १ ॥
जे भिक्खू भदंत फरुसं वयइ वयंतं वा साइज्ज || २ ||
जे भिक्खू भदंतं आगाढफरुसं वयइ वयंतं वा साइज्जइ || ३ ||
जे भिक्खू भदंतं अण्णयरीए अच्चासायणाए अच्चासारइ अच्चासाएंतं वा साइज्जइ ॥ ४ ॥
जे भिक्खू अनंतकायसंजुतं आहारं आहारेइ आहारेंतं वा साइज्जइ ॥ ५ ॥ जे भिक्खू आहाकम्मं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ६ ॥
जे भिक्खू तीतं निमित्तं कहे कहेंतं वा साइज्जइ ॥ ७ ॥
जे भिक्खू पडुप्पण्णं निमित्तं वागरेइ वागरेंतं वा साइज्जइ ॥ ८ ॥
जे भिक्खू अणागयं निमित्तं वागरे वागतं वा साइज्जइ ॥ ९ ॥
जे भिक्खू सेहं विपरिणामेइ सेहं विपरिणामेतं वा साइज्जइ ॥ १० ॥ जे भिक्खू सेहं अवहरइ अवहरेंतं वा साइज्जइ ॥ ११ ॥
जे भिक्खू दिसं विपरिणामेइ विपरिणामेतं साइज्जइ ॥। १२ ।।
जे भिक्खू दिसं अवहरइ अवहरतं वा साइज्जइ ॥ १३ ॥
जे भिक्खू बहियावासिय आएसं परं तिरायाओ अविफालेत्ता संवसावेइ संवसावेंतं वा साइज्जइ ॥ १४ ॥
जे भिक्खू साहिगरणं अविओसमियपाहुडं अकडपायच्छित्तं परं तिरायाओ विष्फालिय अविष्फालिय संभुजइ संभुजतं वा साइज्जइ ।। १५ ।।
जे भिक्खू उग्धाइयं अणुग्वाइयं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥ १६ ॥ एवं - 'अणुस्वाइयं उग्वाइयं वय३' ||१७|| ' उग्वाइयं अणुस्वाइयं देह' ॥१८॥ 'अणुग्धायं उग्धायं देइ ॥ १९ ॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર