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________________ ॥ द्वितीयोदेशकः॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं करेइ करतं वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं गेण्हइ गेण्हतं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं धरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं वियरइ वियरंतं वा साइज्जई ॥४॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं परिभाएइ परिमाएंतं वा साइज्जइ ॥५॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं परिभुंजइ परिभुंजतं वा साइज्जइ ॥६॥ जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं परं दिवढाओ मासाओ धरेइ धरतं वा साइज्जइ। जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुछणं विमुयावेइ विख्यातं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू अचित्तपइट्ठियं गंध जिग्घइ जिग्धंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्ख पदमग्गं वा संकम वा आलंबणं या सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ । जे भिक्ख दगवीणियं सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्ख सिक्कगं वा सिक्कगणंतगं वा सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू सोत्तियं वा रज्जुयं वा चिलमिलि सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ । जे भिक्खू सूईए उत्तरकरणं सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१४॥ एवं पिप्पलगस्स उत्तरकरणम् ॥१५॥ णहच्छेयणगस्स उत्तरकरणम् ॥१६॥ कणसोहणगस्स उत्तरकरणम् ॥१७॥ जे भिक्खू लहुस्सगं फरुसं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१८॥ जे भिक्खू लहुस्सगं मुसं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१९॥ जे भिक्खू लहुस्सगं अदत्तमादियइ आदियंतं वा साइज्जइ ॥२०॥ जे भिक्खू लहुस्सएण सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा हत्थाणि वा पायाणि वा कण्णाणि वा अच्छीणि वा दंताणि वा नहाणि वा मुई वा उच्छोलेज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलतं वा पधोतं वा साइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खु कसिणाणि चम्माई धरेइ धरेत वा साइज्जइ ॥२२॥ जे भिक्खू कसिणागि वत्थाई धरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥२३॥ जे भिक्खू अभिण्णाइं वत्थाइं धरेइ धरेतं वा साइज्जइ ॥२४॥ जे भिक्खू लाउपायं वा दारुपायं वा मट्टियापायं वा सयमेव परिघट्टेइ या संठवेइ बा जमावेइ वा परिघटेंतं वा संठवेंत वा जमातं वा साइज्जइ ॥२५॥ શ્રી નિશીથ સૂત્ર
SR No.006362
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nishith
File Size28 MB
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