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जे भिक्खू बत्यस्स परं तिण्हं फलियगंठियाणं करेइ करेंत बा साइज्जइ ॥५३॥ जे भिक्खू वत्थस्स एगं विफलियगंठियं देइ देयंतं वा साइज्जइ ॥५४॥ जे भिक्खू वत्थस्स परं तिहं विफलियगंठियाणं देइ देयंत वा साइज्जइ ५५॥ जे भिक्खू वत्यं अविहीए गंठइ गंठतं वा साइज्जइ ॥५६॥ जे भिक्खू वत्थं अतज्जाएणं गंठेइ गठेतं वा साइज्जइ ॥५७॥ जे भिक्खू अइरेगगहियं वत्थं परं दिवढाओ मासाओ धरेइ धरेंतं चा साइज्जइ।
जे भिक्खू गिहधर्म अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा परिसाडावेइ परिसाडावेत या साइज्जइ ॥५९॥
जे भिक्खू पूइकम्मं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥६॥ तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं ॥६१॥
॥ निसीहज्झयणे पढमो उद्दे सो समत्तो ॥१॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર